अरिकेसरी मारवर्मन
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अरिकेसरी मारवर्मन् मदुरा के पांड्यों की शक्ति प्रतिष्ठित करने वाले प्रारंभिक राजाओं में प्रधान। लगभग 7वीं सदी ई. के मध्य हुआ। उसकी ख्याति पांड्य अनुश्रुतियों में पर्याप्त है और उनका नेडुमरन् अथवा कुन पांड्य संभवत: वही है। पहले वह जैन था पर बाद में संत तिरुज्ञानसंबंदर के उपदेश से परम शैव हो गया। उसके शासनकाल में पांड्यों का पर्याप्त उत्कर्ष हुआ।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 234 |