अल्यूशियन द्वीपपुंज

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अल्यूशियन द्वीपपुंज लगभग 14 बड़े और 55 छोटे द्वीपों तथा अनेक चोटियों से बना है। यह पहले कैथेरिन द्वीपपुंज के नाम से प्रसिद्ध था। यह कमचटका प्रायद्वीप के पूर्व से अलास्का प्रायद्वीप के पश्चिम तक लगभग 900 मील के विस्तार में फैला हुआ है। इसकी स्थिति अ. 52° उ. से 55° उ. तक और दे. 172° प. से 163° प. तक है। यह संयुक्त राज्य (अमरीका) के अलास्का राज्य का एक भाग है।

1741 ई. में रूस सरकार की प्रेरणा से डेनमार्क के वाइट्स बेरिंग तथा रूस के अलेस्की चिरीकोव दोनों ने सेंट पीटर तथा सेंट पाल नामक जहाजों से उत्तरी महासागर की ओर यात्रा की। रास्ते में सामुद्रिक तूफानों से ये बिछुड़ गए। चिरोकोव अल्यूशियन द्वीपों पर आ पहुँचे और बेरिंग कमचटका होते हुए कमांडर द्वीपपुंज पर आए। तभी से इन द्वीपों का ज्ञान यूरोपवालों को हुआ। यहाँ इनका देहाँत हो गया। 1876 ई. तक अल्यूशियन द्वीपपुंज रूसियों के हाथ में था, परंतु बाद में अमरीका के हाथ में आया।

अल्यूशियन द्वीपपुंज के चार प्रथम द्वीपसमूह फाक्स, अंड्रियानफ, रैट और निकट द्वीप (नियर आइलैंड्स) कहलाते हैं। फाक्स और अंड्रियानफ के बीच में चतु:पर्वतीय द्वीप (आइलैंड्स ऑव फ़ोर माउंटेंस) स्थित है। फाक्स द्वीपसमूह सबसे पूर्व में है और इसके प्रथम द्वीपों के नाम युनिमाक, उनलस्का और उमनाक हैं। चतु:पर्वतीय द्वीपों में चुगिनाडाक्‌, हर्बर्ट, कारलाइल, कागामिल तथा उलिआगा प्रधान हैं। इसमें अमलिया, आट्का, ग्रेट सिटकिन्‌, आदाक, कनागा, तथा तनागा सम्मिलित हैं। रैट द्वीपसमूह का नाम इसमें पाए जानेवाले चूहों की अधिकता के कारण पड़ा। निकट द्वीपसमूह का नाम रूस के सबसे समीपा रहने के कारण पड़ा। सेमीसोपोचनाये, अमचिट्का, किस्का तथा बुल्डीर रैट द्वीपसमूह में हैं और सेमीचि द्वीप, आगाटू तथा आटू निकट द्वीपसमूह में हैं।

अल्यूशियन द्वीपपुंज का नाम अलास्का स्थित अल्यूशियन पहाड़ से पड़ा है। इन द्वीपों की रीढ़ अलास्का के पास दक्षिण पश्चिम की ओर झुकी है, परंतु 1790 प.दे. के बाद इसकी दिशा बदल जाती है। वैज्ञानिकों के मत से यह द्वीपसमूह ज्वालामुखी उद्गार के कारण बना है और इसलिए आग्नेय दरारों की दिशा के अनुसार इसकी रीढ़ की दिशा बनी हुई है। इनमें से अधिकतर द्वीपों पर अग्निउद्गार के चिन्ह स्पष्ट हैं तथा कई एक द्वीपों पर सक्रिय ज्वालामुखी विद्यमान हैं, जैसे उनिमक में माउंट शिशाल्डिन या स्मोकिंग मोज़ज, इसके पास इसानोटस्की पीक (8,088 फुट) और माउंट राउंडटाप (6,155 फुट)। इनके अतिरिक्त उमनाक में माउंट सीवीडोफ (7,236 फुट), उनलस्का में माउंट माकुशिन (5,000 फुट) और चूकिनाडाक में माउंट क्वीवलैंड, ये सब आग्नेय गिरि हैं। इनमें से अधिकतर पहाड़ों पर हिमनदी प्रवाहित हो रही है। यह अंचल अधिकांश स्थानों में आग्नेय चट्टानों से बना है। फिर भी रवादार चट्टाने, पत्थर, परतदार चट्टानें, तथा लिगनाइट पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। इनके उपकूल कटे-फटे हैं और इसलिए इनपर पहुँचने का मार्ग भयावह है। देखने से लगता है, ये पहाड़ियाँ समुद्र के ऊपर सीधी खड़ी हैं।

इस द्वीपपुंज के इतना उत्तर में होते हुए भी यहाँ की जलवायु सामुद्रिक प्रभाव के कारण समशीतोष्ण है तथा वर्षा अधिक होती है। अलास्का की तुलना में इसका शीतकालीन ताप लगभग एक सा रहता है, परंतु ग्रीष्मकालीन तापक्रम में पर्याप्त अंतर हो जाता है, अर्थात्‌ अलास्का की अपेक्षा यहाँ गर्मी कम पड़ती है। यहाँ प्राय: साल भर कुहरा रहता है। यहाँ की खेती में कुछ सब्जियां उगाई जाती हैं। कृषि का कार्य मई से सितंबर तक (लगभग 135 दिन) होता है। यहाँ पर वृक्ष कहीं-कहीं दिखाई देते हैं। प्राकृतिक वनस्पति में प्राय: घास की जाति के पौधे ही अधिक हैं।

यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय समुद्री मछली पकड़ना तथा आखेट है। आजकल भेड़ तथा रेनडियर (हरिण) पालने का भी प्रयत्न चल रहा है। यहाँ पर रहने वाली मेरुप्रदेशीय नीली लोमड़ी के शिकार के लिए 18वीं शताब्दी में रूस के ऊर्णाजिनविक्रेता (फर डीलर्स) यहाँ आकर जमे थे, परंतु जब से यह अमरीका के हाथ में आ गया, आदिवासियों को छोड़कर इन्हें मारने की आज्ञा किसी को नहीं है। इन व्यवसायों के अतिरिक्त यहाँ की स्त्रियों की बनाई हुई टोकरियाँ तथा उनपर बने सूक्ष्म कढ़ाई के कार्य प्रसिद्ध हैं। ये लोग सिलाई करने तथा कपड़ा बुनने में भी चतुर हैं।

अल्यूशियन द्वीपपुज के आदिवासी एसक्वीमावन जाति के हैं। इनकी भाषा, रहन-सहन, कार्य करने की शक्ति आदि एस्किमों से मिलती-जुलती है। इनके गांव उपकूल के समीप बसे हैं, क्योंकि उपकूल के पास इन्हें पक्षी, मछली, समुद्री जंतु आदि सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं तथा जलाने की लकड़ी भी प्राप्त हो जाती हैं। पहले ये लोग जमीन के नीचे घर बनाकर रहते थे और कभी-कभी सामुहिक गृह भी बनाया करते थे। इनकी शारीरिक गठन में बलिष्ठ देह, छोटी गर्दन, छोटा कद, काला मुखमंडल, काली आँखें तथा काले केश प्रत्येक विदेशी की दृष्टि अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। ईसाई धर्म का प्रचार यहाँ पूर्ण रूप से हुआ और यहाँ के निवासियों का वर्तमान रहन-सहन पाश्चात्य सभ्यता से पर्याप्त प्रभावित हुआ है।आबादी अधिकतर अलास्का द्वीपों में केंद्रित है। ये द्वीप काफी उन्नति पर हैं। संयुक्त राज्य (अमरीका) के पहरेवाले जहाजों का यह एक अड्डा है। सन्‌ 1949 तक अलास्का में एक डच बंदरगाह भी था। इस समय यह बंद हो गया है और आटू में एक छोटा सा बंदरगाह चालू रखा गया है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 268 |

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