अविनाशलिंगम चेट्टियार
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पूरा नाम | तिरुप्पुर सुब्रमण्यम अविनाशलिंगम चेट्टियार |
जन्म | 5 मई, 1903, कोयम्बटूर |
जन्म भूमि | तिरुप्पुर, कोयम्बटूर, तमिलनाडु |
मृत्यु | 21 नवम्बर, 1991 |
मृत्यु स्थान | कोयम्बटूर |
अभिभावक | पिता- के. सुब्रमण्यम, माता- पलानीम्मल |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | गाँधीवादी नेता, राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | शिक्षामंत्री (मद्रास प्रेसीडेंसी) : 1946–1949 |
शिक्षा | क़ानून की डिग्री |
अन्य जानकारी | 1946 में मद्रास असेंबली के सदस्य निर्वाचित होने के बाद अविनाशलिंगम चेट्टियार वहां के शिक्षा मंत्री बने। उनके प्रयत्नों से ही मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के माध्यमिक विद्यालयों में तमिल भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया था। |
तिरुप्पुर सुब्रमण्यम अविनाशलिंगम चेट्टियार (अंग्रेज़ी: Tirupur Subramaniam Avinashilingam Chettiar, जन्म- 5 मई, 1903, कोयम्बटूर; मृत्यु- 21 नवम्बर, 1991) भारतीय अधिवक्ता, गाँधीवादी नेता, राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वे गाँधीजी से प्रभावित थे और उनके विचारों का घूम-घूमकर उन्होंने प्रचार किया। अविनाशलिंगम का व्यक्तित्व बिल्कुल सादा और जीवन सादगी भरा था। वे आजीवन अविवाहित रहे।
परिचय
अविनाशलिंगम चेट्टियार का जन्म 5 मई, 1930 ईस्वी को तमिलनाडु में कोयंबटूर ज़िले के तिरुप्पुर नामक गांव में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम के. सुब्रमण्यम था, जो कि अपने समय के एक समृद्ध और प्रमुख व्यापारी थे। माता का नाम पलानीम्मल था। अविनाशलिंगम चेट्टियार ने 1925 में क़ानून की डिग्री ली और वकालत करने लगे।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ
सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय से ही अविनाशलिंगम चेट्टियार स्वतंत्रता संग्राम में रुचि लेने लगे थे। उन्होंने घूम-घूमकर गांधीजी के विचारों का प्रचार किया। 1934 में जब गांधीजी ने दक्षिण भारत की यात्रा की तो अविनाशलिंगम ने अपने प्रयत्न से एक बड़ी धनराशि एकत्र करके उन्हें भेंट की थी। 1935 में वे सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य चुने गए थे। सन 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने पर अविनाशलिंगम चेट्टियार को गिरफ्तार किया गया।[1]
शिक्षामंत्री
1946 में मद्रास असेंबली के सदस्य निर्वाचित होने के बाद वे वहां के शिक्षा मंत्री बने। उनके प्रयत्नों से ही मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के माध्यमिक विद्यालयों में तमिल भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया था। प्रथम तमिल विश्वकोश उन्हीं के प्रयत्नों से प्रकाशित हुआ था।
व्यक्तित्व
अविनाशलिंगम चेट्टियार का व्यक्तित्व और जीवन बहुत ही सादगी भरा था। रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के विचारों से भी वह बहुत प्रभावित थे और आजीवन अविवाहित रहे। समाज सुधार के कार्यों का उन्होंने सदा समर्थन किया
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 58 |
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