वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
तेरी याद में
जब अश्कों का
दरिया बहता था
तब अंतस में
बैठा तू ही तो तड़पता था
आज तेरा ये अंदाज़ समझ आया है
जब मैं और तू दो रहे ही नहीं
जब तू ही वजूद में समाया है
हर ओर तेरा ही नूर समाया है
जहाँ मेरा "मैं" न नज़र आता है
जब एकत्व को
अस्तित्व प्राप्त हो गया है
फिर बता साँवरे
अश्क अब
कैसे बहाऊँ?
तुझे अब कैसे