असुर:
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असुरः [असु+र, न सुरः इति नञ् तत्पुरुष समास वा]
1. दैत्य, राक्षस-रामायण में नामों का कारण बतलाया गया है-सुराप्रतिग्रहाद्दे वाः सुरा इत्यभिविश्रुः, अप्रतिग्रहणात्तस्या दैतेयाश्चासुरास्तथा।
2. देवता का शत्रु, दैत्य, दानव
3. भूत, प्रेत
4. सूर्य
5. हाथी
6. राहु
7. बादल-रा
- 1. रात्रि
- 2. राशि विषयक संकेत
- 3. वेश्या-री दानवी, असुर की पत्नी।
समस्त पद-अधिपः (असुराधिप)-राज्-राजः (पुल्लिंग)
- 1. असुरों का स्वामी
- 2. वलि की उपाधि, प्रह्लाद का पौत्र,-आचार्यः,-गुरुः (पुल्लिंग)
- 1. असुरों के गुरु शुक्राचार्य
- 2. शुक्र ग्रह,-आह्नम् (नपुंसक लिंग) तांबे और टीन की मिश्रित धातु,-क्षयण,-क्षिति (विशेषण) राक्षसों का नाश करने वाला,-द्विषु (पुल्लिंग) राक्षसों का शत्रु अर्थात् देवता,-माया (पुल्लिंग) राक्षसी जादू,-रिपुः,-सूदनः (स्त्रीलिंग) राक्षसों का हन्ता,विष्णु-हन् (पुल्लिंग) 1. राक्षसों का नाश करने वाला, अग्नि, इन्द्र आदि। 2. विष्णु[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 141 |
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