आग्नेय (दिशा)
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विवरण | आग्नेय एक दिशा है। दक्षिण और पूर्व के मध्य का कोणीय स्थान आग्नेय कोण के नाम से जाना जाता है। आग्नेय कोण का मूल तत्व अग्नि है और इस दिशा को गर्म दिशा भी माना जाता है। |
देवता | अग्नि |
वास्तु महत्व | शुक्र ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं। यह स्थान अग्नि देवता का प्रमुख स्थान है इसलिए रसोई या अग्नि संबंधी (इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों आदि) के रखने के लिए विशेष स्थान है। |
अन्य जानकारी | प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दु पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा उत्तरायण व दक्षिणायन काल की गणना के आधार पर किया जाता था। |
आग्नेय (अंग्रेज़ी:South-East) एक दिशा है। यह दिशा अग्नि प्रधान होती है। आग्नेय कोण का मूल तत्व अग्नि है और इस दिशा को गर्म दिशा भी माना जाता है। इसकी अग्नि को नियंत्रित रखने के लिए ही इस दिशा में रसोई घर बनवाना सर्वोत्तम होता है। अग्नि देव की इस दिशा में आप बिजली के उपकरण रखेंगे तो उनमें कोई समस्या नहीं आती। अगर ये दिशा वास्तुसम्मत बनी हो तो इस दिशा के स्वामी शुक्र अति प्रसन्न होते है जिससे घर में सकारात्मक वातावरण बन रहता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार
अतः इस दिशा में अग्नि से संबंधित कार्य करने चाहिए। जैसे कि रसोई, ट्रांसफार्मर, जनरेटर ब्वायलर आदि इसी दिशा में होने चाहिए। सेप्टिक टेंक भी इसी दिशा में बनाया जा सकता है। दक्षिण और पूर्व के मध्य का कोणीय स्थान आग्नेय कोण के नाम से जाना जाता है। नाम से ही साफ हो जाता है कि यह स्थान अग्नि देवता का प्रमुख स्थान है इसलिए रसोई या अग्नि संबंधी (इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों आदि) के रखने के लिए विशेष स्थान है। शुक्र ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं। आग्नेय का वास्तुसम्मत होना निवासियों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। आग्नेय कोण में शयन कक्ष या पढ़ाई का स्थान नहीं होना चाहिए। इस दिशा में घर का द्वार भी नहीं होना चाहिए। इससे गृहकलह निर्मित होता है और निवासियों का स्वास्थ्य भी खराब रहता है।
दिशाओं के नाम
अंग्रेज़ी | संस्कृत (हिन्दी) |
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East | पूरब, प्राची, प्राक् |
West | पश्चिम, प्रतीचि, अपरा |
North | उत्तर, उदीचि |
South | दक्षिण, अवाचि |
North-East | ईशान्य |
South-East | आग्नेय |
North-West | वायव्य |
South-West | नैऋत्य |
Zenith | ऊर्ध्व |
Nadir | अधो |
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