'कृत्स्नं पंचनदं चैव तथैवामरपर्वतम् उत्तरज्योतिषं चैव तथा दिव्यकटं पुरम्।'[1]
- नकुल ने अपनी पश्चिम-दिशा की दिग्विजय यात्रा में इस स्थान को जीता था।
- प्रसंगानुसार इस की स्थिति पंजाब और कश्मीर की सीमा के निकट जान पड़ती है।
- जिस प्रकार प्राग्ज्योतिष[2] की स्थिति पूर्व में थी, इसी प्रकार उत्तर ज्योतिष की स्थिति उत्तर पश्चिम में थी।
- इसका पाठांतर जोतिक भी है जो उत्तर-पश्चिम हिमालय में स्थित जोता नामक स्थान हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 92| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
- ↑ सभा पर्व महाभारत 32, 11
- ↑ कामरूप-असम की राजधानी