पश्चिम
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विवरण | पश्चिम एक दिशा है। ज्योतिष के अनुसार शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। यह दिशा प्रसिद्धि, भाग्य और ख्याति का प्रतीक है। |
देवता | वरुण |
वास्तु महत्व | पश्चिम दिशा सौर ऊर्जा की विपरित दिशा है अतः इसे अधिक से अधिक बन्द रखना चाहिए। भोजन कक्ष, दुछत्ती, शौचालय आदि इसी दिशा में होने चाहिए। |
अन्य जानकारी | प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दु पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा उत्तरायण व दक्षिणायन काल की गणना के आधार पर किया जाता था। |
पश्चिम (अंग्रेज़ी:West) एक दिशा है। वरुण पश्चिम दिशा के देवता है और ज्योतिष के अनुसार शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। यह दिशा प्रसिद्धि, भाग्य और ख्याति का प्रतीक है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार
पश्चिम दिशा सौर ऊर्जा की विपरित दिशा है अतः इसे अधिक से अधिक बन्द रखना चाहिए। भोजन कक्ष, दुछत्ती, शौचालय आदि इसी दिशा में होने चाहिए। इस दिशा में भवन और भूमि तुलनात्मक रूप से ऊंची होनी चाहिए। पश्चिम दिशा में द्वार है तो वास्तु के उपाय करें। द्वार है तो द्वार को अच्छे से सजाकर रखें। द्वार के आसपास की दीवारों पर किसी भी प्रकार की दरारें न आने दें और इसका रंग गहरा रखें। घर के पश्चिम में बाथरूम, शौचालय, बेडरूम नहीं होना चाहिए। यह स्थान न ज्यादा खुला और न ज्यादा बंद रख सकते हैं।
दिशाओं के नाम
अंग्रेज़ी | संस्कृत (हिन्दी) |
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East | पूरब, प्राची, प्राक् |
West | पश्चिम, प्रतीचि, अपरा |
North | उत्तर, उदीचि |
South | दक्षिण, अवाचि |
North-East | ईशान्य |
South-East | आग्नेय |
North-West | वायव्य |
South-West | नैऋत्य |
Zenith | ऊर्ध्व |
Nadir | अधो |
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