कुमार स्वामी

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कुमार स्वामी दक्षिण भारत के तीर्थों में प्रधान माना जाता है। यहाँ स्वामी कार्तिक की भव्य मूर्ति है। कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ बड़ा मेला लगता है।

  • बंगलुरु-पुणे लाइन के हुबली स्टेशन से मोटर बस द्वारा सुंडूर आना चाहिए। सुंडूर से यहां तक 6 मील का पैदल मार्ग है। इसी लाइन पर बिलाड़ी से 20 मील दूर तोरनगल्लू स्टेशन है। वहां से भी सुंडूर बस जाती है।
  • यहां पर्वत पर स्वामी कार्तिक का भव्य मंदिर है। इस पर्वत को क्रौंच गिरी कहते हैं।
  • दक्षिण भारत के स्वामी कार्तिक (सुब्रमण्य) तीर्थों में यह प्रधान माना जाता है।
  • 5 को गोपुरों के बाद एक विस्तृत प्रांगण मिलता है। उसके पश्चात एक गोपुर और पार करने पर कुमार स्वामी का निज मंदिर दृष्टिगोचर होता है।
  • यहाँ स्वामी कार्तिक की मूर्ति भव्य है। मुख्य मंदिर के आस-पास हेरंब (गणपति) का मंदिर और 3-4 मंदिर और हैं।
  • कहा जाता है कि गणेश जी और स्वामी कार्तिक में कुछ विवाद हो गया था। गणेश जी का विवाह रिद्धि-सिद्धि से पहले हो गया था। इससे रुष्ट होकर स्वामी कार्तिकेय कैलाश छोड़कर दक्षिण चले आए और यहां पर क्रौंच गिरी नामक पर्वत पर उन्होंने निवास कर लिया। पीछे स्वामी कार्तिक के स्नेहवश भगवान शंकर तथा पार्वती जी कैलाश से दक्षिण आकर श्रीशैल पर स्थित हुए।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कल्याण विशेषांक तीर्थ अंक, पृष्ठ संख्या 310

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