हुबली-धारवाड़
हुबली-धारवाड़ एक जुड़वा शहर, जो कर्नाटक की राजधानी बंगलूर से 420 किलोमीटर और मुंबई से 550 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है। हुबली-धारवाड़ कभी क्रमशः 15 अगस्त, 1855 और 1 जनवरी, 1856 को अस्तित्व में आईं दो नगरपालिकाएं थीं। 1962 में हुबली-धारवाड़ नगर निगम बनने से एक जुड़वा शहर के रूप में तब्दील हो गईं। 15 लाख की बड़ी आबादी के साथ हुबली-धारवाड़ आज कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। हुबली एक प्रमुख व्यावसायिक केन्द्र है, तो धारवाड़ उत्तरी कर्नाटक का सांस्कृतिक मुख्यालय और प्रवेश द्वार।[1]
स्थिति
जुड़वा शहर हुबली-धारवाड़ बंगलूर से 420 और मुंबई से 550 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित हैं। धारवाड़ विख्यात पश्चिमी घाट के पूर्व में है और यह झीलों और पहाड़ियों से घिरा है। धारवाड़ ज़िले का क्षेत्रफल 13,738 वर्ग किलोमीटर[2] है और जुड़वां शहर की आबादी 12 लाख है। धारवाड़ शहर जुड़वा शहर हुबली-धारवाड़ का मुख्यालय होने के साथ उत्तर कर्नाटक का शैक्षिक और वित्तीय केन्द्र है।[3]
इतिहास
हुबली, जिसे अक्सर 'हुब्बली' या 'पुब्बली'[4] कहा जाता है, 11वीं शताब्दी के पाषाण मंदिर 'अहर्निशंकर' के आस-पास विकसित हुआ था। यहां के उल्लेखनीय भवनों में 'महदी मस्जिद', 'भवानीशंकर मंदिर' और 'नगर भवन' शामिल हैं। हुबली, धारवाड़ नगर से 24 कि.मी. दक्षिण-पूर्व में स्थित है और दक्षिणी रेलवे का केन्द्रिय कार्यालय यहाँ है। 16वीं शताब्दी से क़िलेबंद धारवाड़ का मूल नाम 'दारवड़ा'[5] है। हुबली एक प्रमुख और प्रसिद्ध औद्योगिक शहर है। इस ऐतिहासिक शहर को 'राया हुबली' रूप में जाना जाता था और प्राचीन काल में इसकी 'एलया पुरवदा हल्ली' के रूप में भी पहचान थी। यह शहर विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में कपास और लोहे के व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र में तब्दील हो गया था।[3]
उद्योग
व्यापारिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हुबली कपास, अनाज, नमक, ताँबे के बरतन, साबुन एवं खाद के व्यापार का प्रमुख केंद्र है। नगर में सूत कातने, कपास ओटने और गाँठ बाँधने के कारखाने हैं। एक विशाल अख़बारी काग़ज़ का उद्योग भी हुबली में स्थित है। यह शहर अपने हथकरघा वस्त्र इकाइयों के लिए विख्यात है। यहाँ रेलवे का वर्कशाप तथा वस्त्र बुनने की मिल है। यहाँ सेना की छावनी भी है।
ज़िले के महत्वपूर्ण स्मारकों में- सुंदर मंदिर, चर्च, मस्जिद और मठ आदि प्रमुख हैं। ये दर्शन योग्य हैं। यहां के स्वादिष्ट पेढ़ों को भी नहीं भूलाया जा सकता है।
शिक्षण संस्थान
धारवाड़ रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक शैक्षणिक और व्यापार (कपास) केंद्र है। यहां स्थित वाणिज्य, विधि, चिकित्सा और इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी के महाविद्यालय धारवाड़ के 'कर्नाटक विश्वविद्यालय' (1949) से संबद्ध हैं, जिसमें 'डी.एम. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी', 'एम.डी.एम.ई. ट्रस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज', 'एल.ई.ए. होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज', 'आर.एम.एम. होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज', 'एम. आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज', 'एस.डी.एम. कॉलेज ऑफ़ डेंटल साइंस', 'एस.ई.टी फ़ार्मेसी कॉलेज', 'यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लॉ' तथा कई अन्य महाविद्यालय शामिल हैं। हुबली शहर में एक बाल- सुधार और एक मानसिक आरोग्यशाला भी है।[6]
- नजदीकी हवाईअड्डा
यहाँ का नजदीकी हवाईअड्डा हुबली (18 कि.मी.) है। आसपास बेलगाम (80 कि.मी.), बंगलूरू (420 कि.मी.) और गोवा (80 कि.मी.) और मुंबई (550 कि.मी.) हवाईअड्डे भी हैं। इन शहरों से आरामदायक बस व ट्रेन सेवा उपलब्ध है।[3]
जनसंख्या
धारवाड़ को वर्ष 1961 ई. में 21 कि.मी. दक्षिण-पूर्व में स्थित औद्योगिक केंद्र हुबली के साथ मिला दिया गया था, जिससे राज्य की सबसे अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्र का निर्माण हुआ। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 7,86,018 तथा ज़िले की जनसंख्या कुल 16,03,794 थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ द बेस्ट प्रैक्टिस:हुबली-धारवाड़ (हिन्दी) इण्डिया वाटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 26 जून, 2014।
- ↑ 1997 में पुनः स्थापना से पहले
- ↑ 3.0 3.1 3.2 हुबली (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 26 जून, 2014।
- ↑ अर्थ, पुराना गांव
- ↑ अर्थ, द्वार नगर
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-6 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 241 |