कोसी परियोजना
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कोसी परियोजना भारत तथा नेपाल की संयुक्त परियोजना है। कोसी नदी को अपनी विनाशकारी बाढ़ों के लिया जाना जाता है। इस कारण इसे "बिहार का शोक" भी कहते हैं। इस नदी पर जल के नियंत्रण के लिए भारत सरकार और नेपाल सरकार ने 1954 में एक सयुंक्त समझौते पर तैयार किये थे।[1]
- इस परियोजना के अंतर्गत चार इकाइयों पर काम किया गया है-
- नेपाल में हनुमान नगर के निकट संपूर्ण कंक्रीट से बना 1140 मीटर लंबा अवरोधक बाँध।
- कोसी नदी के बाएँ किनारे से नहर निकाल कर नेपाल के सप्तारी ज़िले और बिहार के पूर्णिया व सहरसा ज़िलों की सिंचाई होती है। इसी नहर पर 40 मेगावाट का विद्युत-गृह बनाया गया है।
- दाहिने किनारे से निकलने वाली पश्चिमी कोसी नहर से बिहार के दरभंगा और नेपाल के सप्तारी ज़िलों की सिंचाई होती है।
- पूर्वी कोसी नहर का विस्तार रजरूप नहर के रूप में कर दिया गया है। इससे बिहार के मुंगेर व सहरसा ज़िलों को लाभ मिल रहा है।
- बाढ़ को रोकने के लिए कोसी के दाहिने और बाएँ किनारों के बीच एक 240 कि.मी. लंबा तटबंध बनाया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ (हिन्दी) वाइवेस पेनोरमा। अभिगमन तिथि: 14 नवम्बर, 2014।
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