गुजरात का युद्ध 21 फ़रवरी, सन 1849 ई. में लड़ा गया था। यह युद्ध शेर सिंह की सिक्ख सेना तथा ब्रिटिश भारतीय सेना, जिसका नेतृत्व ह्यू गफ़, प्रथम बैरन[1] कर रहा था, के बीच हुआ।
- द्वितीय सिक्ख युद्ध (1848-1849 ई.) की यह अंतिम तथा निर्णायक जंग थी, जिसके ज़रिये अग्रेज़ों ने पंजाब को जीत कर अपने राज्य में शामिल कर लिया था।
- अंग्रेज़ सेना ने सिक्खों की तोपों को खामोश करने के लिए तोपख़ाने का प्रयोग किया, फिर सिक्ख रक्षा पंक्तियों को ध्वस्त किया और फिर पीछा कर 50,000 की फ़ौज को तितर-बितर कर दिया।
- शेर सिंह द्वारा 12 मार्च को हथियार डाल देने और आत्म-समर्पण के साथ ही यह युद्ध समाप्त हुआ।[2]
- पंजाब को डलहौज़ी के 10वें 'अर्ल'[3] जेम्स रैमसे ने ब्रिटिश राज में शामिल किया।
- इस युद्ध ने गफ़ की सैन्य ख्याति को पुन: स्थापित किया, क्योंकि इससे पहले सामने से हमला बोलने और तोपख़ाने के इस्तेमाल में विफल रहने के लिए उसकी आलोचना होती थी।
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