सूरजगढ़ का युद्ध
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सूरजगढ़ का युद्ध 1534 ई. में अफ़ग़ान शासक शेरशाह और बंगाल के शासक महमूद ख़ाँ के मध्य लड़ा गया था।
- अपने प्रारम्भिक समय में शेरशाह ने बाबर के यहाँ भी नौकरी की थी। बाबर ने उसे उसकी पैतृक 'सहसराम' (सासाराम) की जागीरदारी देकर पुरस्कृत किया था।
- बिहार लौटकर शेरशाह ने वहाँ के तत्कालीन शासक जलाल खाँ के यहाँ नौकरी की तथा चुनार के शासक ताज ख़ाँ की विधवा से विवाह करके चुनार का महत्त्वपूर्ण दुर्ग भी प्राप्त कर लिया।
- 1531 ई. में जब हुमायूँ ने चुनार पर आक्रमण किया, तब शेरशाह ने चतुरता से अपनी रक्षा की और दुर्ग का स्वामित्व भी सुरक्षित रखा।
- कुछ वर्षों बाद 1534 ई. में बंगाल के शासक महमूद ख़ाँ को 'सूरजगढ़ के युद्ध' में पराजित किया। इस प्रकार शेरशाह का बिहार पर एकछत्र अधिकार हो गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ शेरशाह सूरी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 मई, 2013।