चित्र:Sumitranandan-Pant.jpg
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मूल फ़ाइल (1,000 × 1,380 चित्रतत्व, संचिका का आकार: 1.88 MB, माइम प्रकार: image/jpeg)
विवरण (Description) | सुमित्रानंदन पंत Sumitranandan Pant |
स्रोत (Source) | हिन्दी बुक सेंटर |
प्रयोग अनुमति (Permission) | नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |
आभार (Credits) | नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |
अन्य विवरण | सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। |
फ़ाइल का इतिहास
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दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | प्रयोक्ता | टिप्पणी | |
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वर्तमान | 14:00, 31 मई 2011 | 1,000 × 1,380 (1.88 MB) | गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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फ़ाइल का उपयोग
इस फ़ाइल का प्रयोग नीचे दिए गए 61 पन्नों पर हो रहा है:
- अनुभूति -सुमित्रानंदन पंत
- अमर स्पर्श -सुमित्रानंदन पंत
- आओ, हम अपना मन टोवें -सुमित्रानंदन पंत
- आज रहने दो यह गृह-काज -सुमित्रानंदन पंत
- आजाद -सुमित्रानंदन पंत
- आत्मा का चिर-धन -सुमित्रानंदन पंत
- एक व्यक्तित्व
- काले बादल -सुमित्रानंदन पंत
- गंगा -सुमित्रानंदन पंत
- गीत विहग -सुमित्रानंदन पंत
- ग्राम श्री -सुमित्रानंदन पंत
- घंटा -सुमित्रानंदन पंत
- चंचल पग दीप-शिखा-से -सुमित्रानंदन पंत
- चाँदनी -सुमित्रानंदन पंत
- चींटी -सुमित्रानंदन पंत
- छोड़ द्रुमों की मृदु छाया -सुमित्रानंदन पंत
- जग-जीवन में जो चिर महान -सुमित्रानंदन पंत
- जग के उर्वर आँगन में -सुमित्रानंदन पंत
- जीना अपने ही में -सुमित्रानंदन पंत
- तप रे! -सुमित्रानंदन पंत
- ताज -सुमित्रानंदन पंत
- द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र -सुमित्रानंदन पंत
- धरती का आँगन इठलाता -सुमित्रानंदन पंत
- धेनुएँ -सुमित्रानंदन पंत
- नौका-विहार -सुमित्रानंदन पंत
- पद्म भूषण (1961)
- पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस -सुमित्रानंदन पंत
- परिवर्तन -सुमित्रानंदन पंत
- पर्वत प्रदेश में पावस -सुमित्रानंदन पंत
- पहेली 15 जून 2017
- पहेली 21 फ़रवरी 2020
- पहेली 27 दिसम्बर 2021
- पहेली 28 अक्टूबर 2021
- पहेली जून 2017
- पाषाण खंड -सुमित्रानंदन पंत
- प्रथम रश्मि -सुमित्रानंदन पंत
- बाँध दिए क्यों प्राण -सुमित्रानंदन पंत
- बापू -सुमित्रानंदन पंत
- बापू के प्रति -सुमित्रानंदन पंत
- बाल प्रश्न -सुमित्रानंदन पंत
- भारतमाता -सुमित्रानंदन पंत
- मछुए का गीत -सुमित्रानंदन पंत
- महात्मा जी के प्रति -सुमित्रानंदन पंत
- मैं सबसे छोटी होऊँ -सुमित्रानंदन पंत
- मोह -सुमित्रानंदन पंत
- यह धरती कितना देती है -सुमित्रानंदन पंत
- याद -सुमित्रानंदन पंत
- लहरों का गीत -सुमित्रानंदन पंत
- वह बुड्ढा -सुमित्रानंदन पंत
- वायु के प्रति -सुमित्रानंदन पंत
- विजय -सुमित्रानंदन पंत
- वे आँखें -सुमित्रानंदन पंत
- श्री सूर्यकांत त्रिपाठी के प्रति -सुमित्रानंदन पंत
- संध्या के बाद -सुमित्रानंदन पंत
- सांध्य वंदना -सुमित्रानंदन पंत
- सुमित्रानंदन पंत
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 21
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