जंगलीनाथ मंदिर बहराइच ज़िला, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह भगवान शिव का पुराना मंदिर है। मंदिर गंधर्व झील के समीप इटा मार्ग से 6 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। थारू जनजाति के लोग इस जगह को बहुत ही धार्मिक व पवित्र स्थान मानते हैं। इस मंदिर में सिर्फ़ सावन ही नहीं, अपितु पूरे वर्ष शिव भक्तों का जमघट लगा रहता है। दर्शन करने आने लोग पूरी श्रद्धा से यहाँ आकर लोक मंगल की कामना करते हैं। इस शिव मंदिर का इतिहास पांडवों के अज्ञातवास के कालखंड से जुड़ा हुआ है।
कथा
बताया जाता है कि अपने अज्ञातवास के दौरान जंगलों में भटकते हुए कुंती पुत्र पांडवों को यहाँ शिवलिंग के दर्शन हुए थे। यहीं पर पांडवों ने शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कराकर मंदिर स्थापित किया था। कालांतर में यह मंदिर जर्जर होकर ढह गया और शिवलिंग की लाट पर चरवाहे शिवलिंग की लाट को मूंज और बनकस कूटने के लिए काम में लाने लगे। किवदंती के अनुसार किसी को इस लाट से रक्त प्रवाहित होता दिखा और फिर भव्य मंदिर की स्थापना कर यहाँ के निवासियों ने पूजन-अर्जन की परंपरा डाली। तभी से वैशाख की अमावस्या और भादों की हरतालिका तीज और माघ की महाशिवरात्रि में यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन होता है।[1]
श्रद्धालुओं का आगमन
वैसे तो यहाँ वर्ष भर लखीमपुर, सीतापुर, बलरामपुर, गोंडा, बहराइच सहित आस-पास के ज़िलों के साथ ही नेपाल तक के श्रद्धालु पूजा आदि के लिए आते हैं, किंतु सावन के दिनों में यहाँ तो श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ता है। मंदिर के पुरोहित का कहना है कि पूरे वर्ष भगवान शंकर का नियमित पूजन-अर्चन और आरती का कार्यक्रम चलता है। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के श्रद्धालु भी भागीदार बनते हैं। लोगों की श्रद्धा इस स्थान से जुड़ी हुई है। वे यहाँ आने पर पूरी तरह भक्तिभाव में रम कर भोले शंकर की आराधना करते हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 जंगलीनाथ का मंदिर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 सितम्बर, 2012।