जोसेफ़ बैपटिस्टा
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पूरा नाम | जोसेफ़ बैपटिस्टा |
जन्म | 17 मार्च, 1864 |
जन्म भूमि | मज़गाँव, मुम्बई |
मृत्यु | 18 सितम्बर, 1930 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई |
अभिभावक | जॉन बैपटिस्टा |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ व वकील |
कार्य काल | मुम्बई के मेयर (1925-1926) |
शिक्षा | इंजीनियरिंग |
विद्यालय | इंजीनियरिंग कॉलेज, पुणे |
धर्म | रोमन कैथोलिक |
अन्य जानकारी | मज़दूर संगठन से जोसेफ़ का निकट का संबंध रहा था। 1917 में डाक कर्मचारियों की पहली हड़ताल का नेतृत्व उन्होंने ही किया था। लाला लाजपत राय के साथ मिलकर उन्होंने 'ऑल इंडिया लेबर कांग्रेस' की स्थापना की थी। |
जोसेफ़ बैपटिस्टा (अंग्रेज़ी: Joseph Baptista ; जन्म- 17 मार्च, 1864, मज़गाँव, मुम्बई; मृत्यु- 18 सितम्बर, 1930, मुम्बई) भारत के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, अधिवक्ता तथा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के घनिष्ठ मित्र तथा प्रशंसक थे। इन्होंने तिलक पर लगाये गए राजद्रोह का मुक़दमा लड़ा था, जिस कारण इन्हें काफ़ी प्रसिद्धि मिली थी। जोसेफ़ बैपटिस्टा को वर्ष 1925 में मुम्बई का मेयर चुना गया था।
जन्म तथा शिक्षा
जोसेफ़ बैपटिस्टा का जन्म 17 मार्च, 1864 ई. में मज़गाँव, मुम्बई (भूतपूर्व बम्बई) में हुआ था। इनके पिता का नाम जॉन बैपटिस्टा था। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा सेंट मेरी हाई स्कूल, मज़गाँव से पाई थी। इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए इन्होंने पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया। पूणे से सिविल इंजीनियर की डिग्री लेने के बाद जोसेफ़ बैपटिस्टा ने 7 वर्ष मुंबई में सरकारी नौकरी की, फिर 1894 में क़ानून की शिक्षा प्राप्त करने के ले वे इंग्लैण्ड चले गए। इसके बाद स्वदेश लौट कर उन्होंने 1899 में मुंबई हाईकोर्ट में वकालत शुरू की।
सक्रिय राजनीति
भारत की अंग्रेज़ सरकार द्वारा लोकमान्य तिलक पर जब राजद्रोह का मुक़दमा चला तो उनका मुक़दमा लड़ने के कारण जोसेफ़ बैपटिस्टा की बड़ी ख्याति हुई। आगे चलकर वे सक्रिय राजनीति में भी हिस्सा लेने लगे। लोकमान्य तिलक ने जो 'इंडियन होमरूल लीग' बनाई, उसके प्रथम अध्यक्ष जोसेफ़ बैपटिस्टा ही थे। 1924 में वे मुंबई लेजेस्लेटिव कौंसिल के सदस्य भी चुने गए। 1925 में वे मुंबई के मेयर भी बनाये गए।
मज़दूर संगठन से सम्बंध
मज़दूर संगठन से जोसेफ़ का निकट का संबंध रहा था। 1917 में डाक कर्मचारियों की पहली हड़ताल का नेतृत्व उन्होंने ही किया था। लाला लाजपत राय के साथ मिलकर उन्होंने 'ऑल इंडिया लेबर कांग्रेस' की स्थापना की थी। राष्ट्रसंघ द्वारा जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। जोसेफ़ बैपटिस्टा भारतीय ईसाइयों के लिए पृथक् निर्वाचन व्यवस्था के कट्टर विरोधी थे।
निधन
जीवन के अंतिम दिनों में जोसेफ़ बैपटिस्टा अपने समुदाय के पत्र 'ईस्ट इंडिया जरनल' का संपादन करने लगे थे। 18 सितंबर, 1930 को उनका देहांत हो गया।
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