रमन सिंह
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पूरा नाम | डॉ. रमन सिंह |
जन्म | 15 अक्टूबर, 1952 |
जन्म भूमि | गाँव- ठाठापुर, कबीरधाम (कवर्धा ज़िला), छत्तीसगढ़ |
अभिभावक | पिता- ठाकुर विघ्नहरण सिंह, माता- सुधादेवी सिंह |
पति/पत्नी | वीणा सिंह |
संतान | अभिषेक सिंह (पुत्र) और अस्मिता सिंह (पुत्री) |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | पूर्व मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ (तीन बार) |
कार्य काल | प्रथम-7 दिसंबर, 2003 से 12 दिसंबर, 2008 तक द्वितीय-12 दिसंबर, 2008 से 12 दिसंबर, 2013 तक |
शिक्षा | बी.ए.एम.एस. |
धर्म | हिन्दू |
अन्य जानकारी | डॉ. रमन सिंह ने अपने गृह नगर कवर्धा के ठाकुरपारा में निजी डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करते हुए ग़रीबों का निःशुल्क इलाज किया है और ग़रीबों के डॉक्टर के रूप में उन्हें विशेष लोकप्रियता मिली। |
बाहरी कड़ियाँ | रमन सिंह प्रोफाइल |
अद्यतन | 16:29, 23 मई 2014 (IST)
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रमन सिंह अथवा 'रमण सिंह' (अंग्रेज़ी: Raman Singh, जन्म: 15 अक्टूबर, 1952) भारतीय राजनेता हैं। वे छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता रमन सिंह 1990 और 1993 में मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। उसके बाद सन् 1999 में वे लोकसभा के सदस्य चुने गये। 1999 और 2003 में उन्होंने भारत सरकार में राज्य मंत्री का भी पद संभाला। रमन सिंह तीन बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे हैं- 7 दिसंबर, 2003 से 12 दिसंबर, 2008 तक, 12 दिसंबर, 2008 से 12 दिसंबर, 2013 तक और फिर 12 दिसंबर, 2013 से 17 दिसंबर, 2018 तक।
जीवन परिचय
डॉ. रमन सिंह का जन्म छत्तीसगढ़ के वर्तमान कबीरधाम (कवर्धा) ज़िले के ग्राम ठाठापुर (अब रामपुर) में एक कृषक परिवार में 15 अक्टूबर, 1952 को हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय ठाकुर विघ्नहरण सिंह ज़िले के वरिष्ठ समाजसेवी और प्रतिष्ठित अधिवक्ता थे। डॉ. रमन सिंह की माता स्वर्गीय श्रीमती सुधादेवी सिंह धार्मिक प्रकृति की सहज-सरल गृहिणी थीं। सौम्य और शालीन व्यक्तित्व के धनी डॉ. रमन सिंह की धर्मपत्नी वीणा सिंह भी एक अत्यंत व्यवहार कुशल गृहिणी और समाजसेवी हैं। मुख्यमंत्री के सुपुत्र अभिषेक सिंह एम.बी.ए. की उपाधि सहित मेकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और सुपुत्री अस्मिता दंत चिकित्सक हैं। डॉ. रमन सिंह की प्रारंभिक शिक्षा छत्तीसगढ़ के तहसील मुख्यालय खैरागढ़ सहित कवर्धा और राजनांदगांव में हुई। उन्होंने वर्ष 1975 में रायपुर के शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय से बी.ए.एम.एस. की उपाधि प्राप्त की। डॉ. रमन सिंह, डॉक्टर बनकर ग़रीबों की सेवा करना चाहते थे। इसके लिए वे आयुर्वेदिक महाविद्यालय रायपुर में प्रवेश लेने से पहले प्री-मेडिकल परीक्षा (पी.एम.टी.) भी उत्तीर्ण कर चुके थे, लेकिन उम्र कम होने के कारण उन्हें एम. बी. बी. एस. में दाखिला नहीं मिल पाया, लेकिन बाद में आयुर्वेदिक महाविद्यालय से बी.ए.एम.एस. की डिग्री लेकर उन्होंने डॉक्टरी शुरू की और एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपने गृह नगर कवर्धा के ठाकुरपारा में निजी डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करते हुए ग़रीबों का निःशुल्क इलाज किया और ग़रीबों के डॉक्टर के रूप में उन्हें विशेष लोकप्रियता मिली। डॉ. रमन सिंह वॉली बॉल के अच्छे खिलाड़ी भी रहे।[1]
राजनीतिक परिचय
छत्तीसगढ़ के तीसरी बार निर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 12 दिसंबर, 2013 को राजधानी रायपुर में शपथ ग्रहण के बाद राज्य के विकास के एक नये अध्याय की शुरूआत की। उन्होंने रायपुर के पुलिस परेड मैदान में आम जनता के बीच शपथ ग्रहण कर अपनी तीसरी पारी की शुरूआत की। पूरे देश में डॉ. रमन सिंह को सबके साथ, सबके विकास के लिए काम करने वाले और विशेष रूप से गांव-गरीब तथा किसानों के हित में अपनी अनेक नवीन योजनाओं के जरिए जनता का दिल जीतने वाले सहृदय और संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप में पहचाना जाता है।
राजनीति में प्रवेश
जन-सेवा और लोक-कल्याण की भावना से परिपूर्ण डॉ. रमन सिंह ने व्यक्तिगत रूप से समाज सेवा की अभिरुचि के कारण अपने जीवन को बड़े लक्ष्य के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया। डॉ. रमन सिंह का सार्वजनिक जीवन का सफ़र 1976-77 में शुरू हुआ। वे वर्ष 1983-84 में शीतला वार्ड से कवर्धा नगरपालिका के पार्षद निर्वाचित हुए। वर्ष 1990-92 और वर्ष 1993-98 तक वे तत्कालीन मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायक रहे। इस दौरान उन्होंने विधानसभा की लोक-लेखा समिति के सदस्य और विधानसभा की पत्रिका ‘विधायिनी’ के संपादक के रूप में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में वे राजनांदगांव क्षेत्र से विजयी हुए। डॉ. रमन सिंह की प्रतिभा और लोकप्रियता को देखते हुए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री बनाया। डॉ. रमन सिंह ने इस विभाग में केन्द्रीय राज्यमंत्री के रूप् में अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। डॉ. रमन सिंह ने राष्ट्रमंडलीय देशों के संसदीय संघ की छठवीं बैठक में हिस्सा लिया। इसके अलावा उन्होंने इजराइल, नेपाल, फ़िलिस्तीन और दुबई में आयोजित भारतीय व्यापार मेले में भी देश का नेतृत्व किया।[1]
चुनाव में प्रदर्शन
डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के वर्ष 2003 के प्रथम आम चुनाव में जनादेश मिलने के बाद पहली बार 7 दिसम्बर 2003 को राजधानी रायपुर के पुलिस परेड मैदान में आयोजित सार्वजनिक समारोह में हजारों लोगों के बीच शपथ ग्रहण कर मुख्यमंत्री पद का कार्य भार संभाला था। उन्होंने राज्य विधानसभा के दूसरे चुनाव में सफलता पाकर 12 दिसम्बर 2008 को इसी पुलिस परेड मैदान में विशाल जनसमुदाय के बीच मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने इस बार भी 12 दिसम्बर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह भी संयोग है कि वर्ष 2008 के विधानसभा आम चुनाव की मतगणना भी 8 दिसम्बर को हुई थी और तीसरे आम चुनाव की मतगणना भी इस बार 8 दिसम्बर को हुई।
उपलब्धियाँ और योगदान
मुख्यमंत्री के रूप में अपने प्रथम और द्वितीय कार्यकाल में डॉ. रमन सिंह ने राज्य में अनेक जन-कल्याणकारी योजनाएं शुरू की।
- अपने प्रथम कार्यकाल में उन्होंने लाखों किसानों को ऋण मुक्त कर राहत दिलायी। अपने प्रथम दो कार्यकाल में उन्होंने किसानों के लिए सहकारी बैंकों से मिलने वाले ऋणों पर प्रचलित 14-15 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर को घटाकर 9 प्रतिशत, 7 प्रतिशत और 6 प्रतिशत और तीन प्रतिशत करते हुए एक प्रतिशत कर दिया।
- ग्राम सुराज अभियान और नगर सुराज अभियान के जरिए उन्होंने शासन और प्रशासन को आम जनता के दरवाज़े तक पहुंचाकर लोगों के दुख-दर्द को दूर करने की सार्थक पहल की।
- छत्तीसगढ़ को देश का पहला विद्युत कटौती मुक्त राज्य बनाने का श्रेय भी डॉ. रमन सिंह के कुशल नेतृत्व को दिया जाता है।
- उन्होंने राज्य के लगभग 42 लाख ग़रीब परिवारों के लिए वर्ष 2012 में देश का पहला खाद्य सुरक्षा कानून बनाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कानूनी स्वरूप दिया और इन ग़रीब परिवारों को मात्र एक रुपये और दो रुपये किलो में हर महीने 35 किलो चावल, दो किलो निःशुल्क नमक, आदिवासी क्षेत्रों में पांच रुपये किलो में दो किलो चना और गैर आदिवासी क्षेत्रों में दस रुपये किलो में दाल वितरण का प्रावधान किया।
- महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ने के लिए छत्तीसगढ़ युवा सूचना क्रांति योजना की शुरूआत की।
- बेरोजगारों को स्वरोजगार तथा नौकरी के लिए कुशल मानव संसाधन के रूप में प्रशिक्षित करने के इरादे से मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी 27 ज़िलों में आजीविका कॉलेज की स्थापना की योजना बनाई है। इसकी शुरूआत दंतेवाड़ा से हो चुकी है।
- तेन्दूपत्ता श्रमिकों के लिए निःशुल्क चरण पादुका वितरण, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए निःशुल्क औजार, महिला श्रमिकों के लिए निःशुल्क सिलाई मशीन और साइकिल वितरण, सरस्वती सायकल योजना के तहत हाई स्कूल स्तर की अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की बालिकाओं के लिए निःशुल्क साइकिल वितरण, बस्तर और रायगढ़ में मेडिकल कॉलेज की स्थापना डॉ. रमन सिंह के विगत दो कार्यकाल की उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं।
- डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ की आम जनता की बोलचाल की भाषा ‘छत्तीसगढ़ी’ को राजभाषा का दर्जा दिलाया।
- राजधानी रायपुर के नजदीक एक विशाल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण भी डॉ. रमन सिंह के प्रथम कार्यकाल में हुआ।
- उन्होंने शासकीय कर्मचारियों को केन्द्र के समान छठवां वेतन मान स्वीकृत किया और हजारों दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमितिकरण के जरिए नौकरी में एक सुरक्षा की भावना प्रदान की।
- ग्राम सुराज अभियान के माध्यम से राज्य के दूर-दराज गांवों तक जनता के बीच अचानक पहुंच कर लोगों के दुख-दर्द को जानने, समझने और यथासंभव तुरंत हल करने की अनोखी शैली ने भी जनता का दिल जीत लिया है।[1]
सम्मान और पुरस्कार
- डॉ. रमन सिंह केे नेतृत्व में विगत दस वर्षों में छत्तीसगढ़ को विभिन्न क्षेत्रों में अपनी महत्वपूर्ण विकास योजनाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें वर्ष 2011 में सर्वाधिक चावल उत्पादन के लिए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के हाथों भारत सरकार का प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार भी शामिल हैं।
- साक्षरता, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा संरक्षण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, उद्यानिकी मिशन सहित कई क्षेत्रों में इस दौरान छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 मुख्यमंत्री परिचय (हिंदी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 23 मई, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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