तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली अनुवाक-3

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  • इस अनुवाक में 'प्राणमय कोश' का वर्णन है।
  • प्राण ही किसी भी शरीर की जीवनी-शक्ति होता है। जो प्राण-रूपी ब्रह्म की उपासना करते हैं, वे दीर्घ जीवन पाते हैं।
  • यही अन्नमय शरीर का 'आत्मा' है।
  • इस देह का सिर 'यजुर्वेद' है, 'ॠग्वेद' दाहिना पंख है, ' सामवेद' बायां पंख है। और आदेश उस देह का मध्य भाग है।
  • 'अथर्व' के मन्त्र ही इसका पूंछ वाला भाग है।


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