तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली अनुवाक-3
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
- तैत्तिरीयोपनिषद के ब्रह्मानन्दवल्ली का यह तीसरा अनुवाक है।
मुख्य लेख : तैत्तिरीयोपनिषद
- इस अनुवाक में 'प्राणमय कोश' का वर्णन है।
- प्राण ही किसी भी शरीर की जीवनी-शक्ति होता है। जो प्राण-रूपी ब्रह्म की उपासना करते हैं, वे दीर्घ जीवन पाते हैं।
- यही अन्नमय शरीर का 'आत्मा' है।
- इस देह का सिर 'यजुर्वेद' है, 'ॠग्वेद' दाहिना पंख है, ' सामवेद' बायां पंख है। और आदेश उस देह का मध्य भाग है।
- 'अथर्व' के मन्त्र ही इसका पूंछ वाला भाग है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली |
अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 |
तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली |
अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10 |
तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली |
अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10 | अनुवाक-11 | अनुवाक-12 |