तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-2
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- तैत्तिरीयोपनिषद के भृगुवल्ली का यह दूसरा अनुवाक है।
मुख्य लेख : तैत्तिरीयोपनिषद
- तप के बाद उन्हें बोध हुआ कि 'अन्न' ही ब्रह्म है; क्योंकि अन्न से ही जीवन है और अन्न के न मिलने से मृत्यु को प्राप्त जीव अन्न (पृथ्वी) में ही समा जाता है।
- उनके पिता वरुण ने भी उनकी सोच का समर्थन किया, किन्तु अभी और सोचने के लिए कहा।
- तप से ही 'ब्रह्म' को जाना जा सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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