धूर धरत नित सीस पै -रहीम
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धूर धरत नित सीस पै, कहु ‘रहीम’ केहि काज ।
जेहि रज मुनि-पतनी तरी, सो ढूंढत गजराज ॥
- अर्थ
हाथी नित्य क्यों अपने सिर पर धूल को उछाल-उछालकर रखता है ? जरा पूछो तो उससे उत्तर है:- जिस[1] धूल से गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या तर गयी थी, उसे ही गजराज ढूंढता है कि वह कभी तो मिलेगी।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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