नन्दन नीलेकणी का कॅरियर
नन्दन नीलेकणी का कॅरियर
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पूरा नाम | नन्दन नीलेकणी |
जन्म | 2 जून, 1955 |
जन्म भूमि | बेंगळूरू, कर्णाटक |
पति/पत्नी | रोहिणी नीलेकणि |
संतान | निहार और जान्हवी |
कर्म भूमि | भारत |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी, मराठी, कोंकणी। |
शिक्षा | इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक |
विद्यालय | ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे’ |
प्रसिद्धि | 'इन्फ़ोसिस' के सह-संस्थापक सदस्यों में से एक। |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | यूआईडी, भारतीय जनता पार्टी |
अन्य जानकारी | नन्दन नीलेकणी भारत सरकार के हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नम्बर प्रदान करने के लिए 'भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण' (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष बनाए गए थे। |
अद्यतन | 17:30, 6 अक्टूबर 2017 (IST)
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नन्दन नीलेकणी भारतीय उपक्रमी, नौकरशाह, नेता और प्रसिद्ध सॉफ़्टवेयर कम्पनी 'इन्फ़ोसिस' के सह-संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। इन्फ़ोसिस में एक शानदार कॅरियर के बाद उन्होंने भारत सरकार द्वारा गठित एक तकनीकी समिति की अध्यक्षता की, इसके बाद वे भारत सरकार के हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नम्बर प्रदान करने के लिए 'भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण' (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष बनाए गए। बाद में नन्दन नीलेकणी कांग्रेस में शामिल हो गए और सन 2014 के लोक सभा चुनाव में बेंगळूरू सीट से खड़े हुए, किंतु वे भारतीय जनता पार्टी के अनंत कुमार से हार गए।[1]
इन्फ़ोसिस की स्थापना
नन्दन नीलेकणि ने सन 1978 में अपने कॅरियर का प्रारंभ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम से किया। पाटनी में नौकरी के लिए उनका साक्षात्कार एन. आर. नारायणमूर्ति ने लिया था। काम करते-करते दोनों में प्रगाढ़ता बढ़ी और सन 1981 में उन्होंने एन. आर. नारायणमूर्ति और पांच अन्य लोगों के साथ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स छोड़कर एक नयी कंपनी 'इन्फोसिस' की स्थापना की। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नन्दन नीलेकणि ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। 2002 में उन्हें इन्फोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और अप्रैल, 2007 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके स्थान पर उनके सहयोगी क्रिस गोपालकृष्णन को इन्फ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और नन्दन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के सह-अध्यक्ष बनाये गए। इन्फ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनने से पहले नन्दन नीलेकणि ने कंपनी में विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें शामिल हैं- प्रबंध निदेशक, अध्यक्ष, सी.ओ.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)।[1]
यूआईडीएआई के अध्यक्ष
सन 2009 में नन्दन नीलेकणि इन्फ़ोसिस छोड़कर 'भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण' (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष बन गए। कैबिनेट स्तर के इस पद को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह पर स्वीकार किया था। भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण एक ऐसा डाटा बेस बना रहा है, जिसमें भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जा रही है। इस नम्बर के आधार पर उस व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहेगी।[1]
नन्दन नीलेकणि भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध पर शोध करने वाली काउंसिल (आईसीआरआईईआर) के सदस्य् हैं और इंडिपेंडेंट एप्ला इड इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीटट्यूट ऑफ़ इंडिया (एनसीएईआर) के अध्ययक्ष भी हैं। वे ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम फाउंडेशन’ और ‘बॉम्बे हेरिटेज फण्ड’ जैसी संस्थाओं के एडवाइजरी बोर्ड पर भी हैं। अपनी पुस्तक ‘इमैजिनिंग इंडिया: द आईडिया ऑफ़ अ रेनयूड नेशन’ के प्रचार के लिए वे ‘द डेली शो विथ जॉन स्टीवर्ट’ पर भी गए थे और 2009 में टेड कांफेरेंस में भी भारत के भविष्य के लिए अपने विचारों को प्रकट किया।[1]
राजनीति
मार्च, 2014 में नन्दन नीलेकणि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 के लोक सभा चुनाव में दक्षिण बेंगळूरू से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया, पर उन्हें भारतीय जनता पार्टी के नेता अनन्त कुमार से हार का सामना करना पड़ा।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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