परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना। बिर का दु:ख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना। इस पार जमुना उस पार गंगा बीच चंदन का पेड़ ना। इस पेड़ ऊपर कागा बोले कागा का बचन सुहावना।