पुष्प परिजात के -गोपालदास नीरज
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पुष्प परिजात के -गोपालदास नीरज
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कवि | गोपालदास नीरज |
मूल शीर्षक | 'पुष्प परिजात के' |
प्रकाशक | 'पेंगुइन बुक्स' |
प्रकाशन तिथि | 01 जनवरी 2007 |
ISBN | 9780143100317 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
प्रकार | कविता संग्रह |
- गोपालदास ‘नीरज’ द्वारा रचित काव्य संग्रह है।
- इस नए काव्य संग्रह में नीरज की कविता के चार रंगों - गीत, ग़ज़ल, दोहे व मुक्तक - की रंगोली सजी है।
- नीरज की रचनाएँ भावना प्रधान होती हैं जिनमें भावों की घटाएं उमड़-घुमड़कर उठती हैं, तो पानी बनकर बरस जाती हैं, उसी तरह जब भावों का अतिरेक होता है, जज़बात छलकने लगते हैं, तो कविता के रूप में ढल जाते हैं।
- कविता ने सदियों से हर संस्कृति, हर भाषा, हर दिल को शब्द दिए हैं। ऐसे ही हर दिल की बात कहने वाले हरदिल-अज़ीज़ कवि हैं - गोपालदास नीरज। नीरज के गीत गज़लों में भावों की गहराई तो है ही, साथ ही उनमें लयात्मकता भी है, जो लोगों की ज़ुबान पर चढ़कर बोलती है।
- नीरज की कविताओं तथा लेखों का अनुवाद अनेक भाषाओं में हो चुका है।
- आपके कालजयी फ़िल्मी गीत हैं - ‘कारवां गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे’, ‘शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब’ आदि।
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