प्रनतपाल रघुबंसमनि
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रनतपाल रघुबंसमनि
| |
| कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
| मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
| मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
| प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
| शैली | दोहा, चौपाई और सोरठा |
| संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
| काण्ड | लंकाकाण्ड |
प्रनतपाल रघुबंसमनि त्राहि त्राहि अब मोहि। |
- भावार्थ
और 'हे शरणागत के पालन करने वाले रघुवंश शिरोमणि राम! मेरी रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए।' (इस प्रकार आर्त प्रार्थना करो।) आर्त पुकार सुनते ही प्रभु तुमको निर्भय कर देंगे॥ 20॥
| प्रनतपाल रघुबंसमनि |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख


