बहलोली
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बहलोली सल्तनत काल में प्रचलित ताँबे का सिक्का था, जो बहलोल लोदी के द्वारा प्रचलन में लाया गया था। यह 1/40 टका के समतुल्य था।[1]
- बहलोल लोदी अपने सरदारों को ‘मसनद-ए-अली’ कहकर पुकारता था। उसका राजत्व सिद्धान्त समानता पर आधारित था।
- वह अफ़ग़ान सरदारों को अपने समकक्ष मानता था। बहलोल अपने सरदारों के खड़े रहने पर खुद भी खड़ा रहता था।
- उसने ‘बहलोली सिक्के’ का प्रचलन करवाया, जो अकबर के समय तक उत्तर भारत में विनिमय का प्रमुख साधन बना रहा।
इन्हें भी देखें: दिल्ली सल्तनत, सल्तनत काल की शब्दावली एवं सल्तनत काल का प्रशासन
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यूजीसी इतिहास, पृ.सं. 145