संध्या राय |
राजेश खन्ना और आशा पारेख |
हेमा मालिनी |
अमिताभ बच्चन और रेखा |
अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी |
अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा |
रनबीर कपूर और दीपिका पादुकोण |
होली की मस्ती बॉलीवुड की रंगीनियत की चर्चा के बिना फीकी सी लगती है। होली ने बॉलीवुड को जिस हद तक प्रभावित किया है, उतना प्रभाव किसी अन्य इंडस्ट्री पर नज़र नहीं आता। तभी तो होली निर्माता-निर्देशकों की पहली पसंद रही है और लगभग हर दौर की फ़िल्मों को होली के रंग में सराबोर करने की कोशिश की गई। नवरंग की "अरे जा रे हट नटखट" से लेकर नए जमाने की फ़िल्म "वक्त" के "लेट्स प्ले होली" तक सिनेमा के पर्दे पर असंख्य फ़िल्में होली के रंगों से सराबोर होती रहीं। दर्शकों ने भी फ़िल्मों में दिखाए गए होली के विविध रूपों का रसपान किया।
आर. के. स्टूडियो से हुई शुरूआत
बॉलीवुड में होली के रंग केवल फ़िल्मी पर्दे तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि नामी-गिरामी फ़िल्मी हस्तियों के दिलों में अपनी जगह बनाते हुए इस इंडस्ट्री की शान बन गए। बॉलीवुड में होली खेलने की परंपरा शोमैन राज कपूर के आर. के. स्टूडियो से शुरू होकर फ़िल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के बंगले "प्रतीक्षा" तक पहुंच गई। एक जमाना था जब होली के दिन फ़िल्मी जगत् के सभी छोटे-बडे कलाकार आर. के स्टूडियो में जमा होकर "होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं" की तर्ज पर धमाल मचाते हुए रंगों से सराबोर मस्ती में डूब जाते थे। उस समय आर. के. स्टूडियो में एक छोटे से तालाब में रंग घोला जाता था और इसमें लोगों को डुबो कर जमकर मस्ती की जाती थी। राजकपूर इस बात का पूरा ख्याल रखते थे कि होली की रंग में किसी तरह का भंग न पडे और ख़ासतौर से महिलाओं के साथ होली के नाम पर छेडखानी न की जाए। आज भी जब होली की बात चलती है, तो बरबस ही आर. के. स्टूडियो की होली का नाम सबकी जुबां पर आ जाता है। हालांकि, राज कपूर की परंपरा को कायम रखते हुए आज भी आर. के. स्टूडियो में होली पर भव्य आयोजन किए जाते हैं।[1]
होली का हिन्दी सिनेमा पर प्रभाव
प्यार, तकरार, साजिश हो या भावनाओं की उथल-पुथल की अभिव्यक्ति, हिंदी सिनेमा में फ़िल्म निर्माताओं ने रंगों के त्योहार होली को एक सटीक पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए हमेशा से उपयोग किया है। पांच दशक से भी ज्यादा समय से हिंदी फ़िल्मों में होली के गीत काफ़ी प्रचलित हैं। 1950 के युग की रंगीन फ़िल्मों में यह त्यौहार निर्माताओं के लिए पर्दे पर रंग छिड़कने का एक मौका देता था। फ़िल्म 'मदर इंडिया' का 'होली आई रे कन्हाई' और नवरंग की 'अरे जा रे हट नटखट' दिमाग में एकदम आ जाता है। तब से यह सिनेमाई परंपरा अब तक छूटी नहीं है। इस प्रक्रिया में इस रंगीन त्योहार की पृष्ठभूमि पर्दे के किरदारों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने और उत्प्रेरक के रूप में काम करती है। होली के इस रंगारंग जश्न के बीच में असल भावनाओं की अभिव्यक्ति को फ़िल्माया जाता रहा है। होली कब है या बुरा ना मानो होली है जैसे प्रचलित डायलॉग देने वाली फ़िल्म शोले में रामगढ़ पर खूंखार डकैतों के हमले से अनभिज्ञ गांव वालों की खुशी के रंग में भंग पड़ने के सीक्वंस को रमेश सिप्पी ने होली के गीत से फ़िल्माना उचित समझा। 'होली के दिन दिल खिल जाते हैं' गीत के साथ फ़िल्म के नायक-नायिकाएं धर्मेंद्र और हेमा मालिनी झूमते-गाते और नाचते नजर आते हैं और पूरा गांव आने वाले उस खतरे को भूल जाता है। इस फ़िल्म के बाद धर्मेंद्र और हेमा सात सालों बाद 'राजपूत' के 'भागी रे भागी रे भागी ब्रज बाला, कन्हैया ने पकड़ा रंग डाला..' में फिर साथ नजर आए जिसमें उनका साथ विनोद खन्ना और रंजीता ने दिया। निर्देशक विजय आनंद ने इसके माध्यम से एक उपद्रवियों के बीच एक खुशमिजाज माहौल बनाया। इससे पहले विजय आनंद ने गाइड में क्लासिक गीत 'पिया तो से नैना लागे रे' के पहले स्ट्रेंजा में 'आई होली आई..' से यादगार होली सीक्वंस पेश किया था। एक भव्य सेट और पिचकारियों की मदद से उन्होंने हिरोइन वहीदा रहमान को पेश किया। प्यार को पाने की खुशी और उमंग को इन रंगों के साथ परोसने का जतन उन्होंने किया।
- सस्पेंस डालने की कोशिश
यश चोपड़ा ने अपनी फ़िल्मों में बार-बार होली मोटिफ का उपयोग किया है। 1984 में 'मशाल' के लोकप्रिय होली सीक्वंस 'होली आई होली आई देखो होली आई रे...' में अनिल कपूर और रति अग्निहोत्री के प्रेम के रंग को निखारा और साथ ही दिलीप कुमार और वहीदा रहमान के बीच मौन संवाद पेश किया। 'डर' में यश चोपड़ा ने 'अंग से अंग लगाना सजन मोहे ऐसे रंग लगाना' के जरिए सस्पेंस डालने की कोशिश की। जूही चावला के साथ जुनूनी प्रेमी बने शाहरुख ख़ान इन रंगों के बीच ही चोरी चुपके एक करीबी पल पाने में सफल हो जाते हैं। यश चोपड़ा ने 'मोहब्बतें' में भी 'सोहनी सोहनी अंखियों वाली' से कपल्स के बीच होली सीक्वंस फ़िल्माया।
- इरादों का खुलासा
'आखिर क्यों' में स्मिता पाटिल को अपने पति के इरादे का पता भी होली के साथ ही चलता है। उनके पति के किरदार में राकेश रोशन उनकी बहन टीना मुनीम के साथ 'सात रंग में खेल रही है दिलवालों की होली रे' गाते हुए खेलते है। स्मिता के पास इस निकटता को स्वीकारने के सिवा और कोई चारा नहीं था।
- एक मौका देने की गुजारिश
होली की ख़ुशी को जीवन में उदासी के विपरीत नियोजित किया गया है तो होली के रंग को भावनाओं को बदलने में भी इस्तेमाल किया गया है। हीरो चतुराई से विधवा नायिका को खुले आम स्वीकार करने का मौका नहीं छोड़ता। 'कटी पतंग' में राजेश खन्ना उत्साह से 'आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली खेलेंगे हम होली..' आशा पारेख के लिए गाते हैं और वह रोते दिल से इस तरह जवाब देती है 'अपनी अपनी किस्मत देखो, कोई हंसे कोई रोए।' धनवान' में राजेश खन्ना 'मारो भर भर भर पिचकारी' गाते हुए रीना रॉय को एक और मौका देने की गुजारिश करते हैं। फूल और पत्थर में 'लाई है हजारों रंग होली' के साथ हीरो धर्मेंद्र का विधवा मीना कुमारी को लेकर लगाव मिश्रित भावनाओं को दिखाता है जिसमें समाज की प्रतिक्रिया का डर शामिल है।
- मिलन और जुदाई की पीड़ा
हिंदी फ़िल्मी होली सीक्वंस में कई मूड नज़र आते हैं। 'जख्मी' में बदला लेने वाले सुनील दत्त 'दिल में होली जल रही है' गाते हुए खलनायकों की तलाश में हैं। कामचोर का 'मल दे गुलाल मोहे..' होली सीक्वंस एक खुशमिजाज जोड़े के विपरीत राकेश रोशन से बिछड़ कर जयाप्रदा के दु:ख को चित्रित करता है। यह गाना मिलन और जुदाई दोनों को बताने के लिए है। सौतन में 'मेरी पहले ही तंग थी चोली' राजेश खन्ना और टीना के बीच प्रेम को मजाकिया अंदाज़ में दिखाता है। राजिंदर सिंह बेदी के तीखेपन से लिखे फागुन में वहीदा 'पिया संग खेलूं होली फागुन आयो रे' गाते हुए एकदम रूक जाती है और पति धर्मेंद्र एक कटु टिप्पणी के साथ उनकी महंगी साड़ी भिगो देता है। धर्मेंद्र गहराई से लंबी और दर्दनाक जुदाई से व्यथित है। साजिश की धुरी के रूप में या फिर एक मूड तैयार करने का आधार होली के गीत हमारे सिनेमा में बारहमासी है।[2]
बॉलीवुड में होली के प्रमुख गीत
होली रंगों, आनंद और उल्लास का त्योहार है। बॉलीवुड के होली गीत इसी आनंद और उल्लास से भरे होते हैं। 'होली आई रे कन्हाई'[3], 'अरे जा रे हट नटखट' [4], 'आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली'[5], 'होली के दिन'[6], 'रंग बरसे' [7], 'मल दे गुलाल मोहे, आई होली आई रे'[8], 'अंग से अंग लगाना सजन'[9] और 'होली खेलें रघुवीरा'[10] होली के कुछ लोकप्रिय गीत हैं। इसके अलावा 'होली के रंग में', 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली' और 'होली खेलें रघुवीरा...' हिन्दी फ़िल्मों के कुछ ऐसे लोकप्रिय गीत हैं जो रंगों के त्योहार होली की भावना को बड़े पर्दे पर जीवंत करते हैं, लेकिन आज होली के गीतों का अभाव देखा जा रहा है और ऐसे में लोग पुराने गीतों में ही होली का मजा लेने को मजबूर हैं। हिन्दी फ़िल्मों में आया होली का अंतिम गीत 'डू मी ए फेवर.. लेट्स प्ले होली' है। फ़िल्म 'वक्त-रेस अंगेंस्ट टाइम', 2005 का यह गीत अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा पर फ़िल्माया गया है। इस गीत में होली के रंग, ऊर्जा सहित सब कुछ है।[11]
बॉलीवुड की होली में छाए अमिताभ
बॉलीवुड की होली के पर्याय हैं अमिताभ बच्चन। फ़िल्मों में होली की चर्चा चलते ही सबसे पहले जो चेहरा आंखों के सामने आता है , वह अमिताभ बच्चन का ही है। वर्षों बाद एक बार फिर 'बागबान' में फ़िल्मी पर्दे पर बॉलीवुड के इस सुपर स्टार ने रंगों का ऐसा खेल खेला कि हर कोई आज 'होली खेले में रघुवीरा , अवध में होली खेले... ' गुनगुनाता है।
रंग बरसे... (सिलसिला)
यश चोपड़ा की फ़िल्म 'सिलसिला' में बिग बी ने जब रंगों में भीग कर अपनी आवाज में 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली... ' गाया था , तो उस समय किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि हर होली पर बिग बी का यह गाना मस्ती के इस त्योहार में और मस्ती घोल देगा। प्रेम त्रिकोण पर बनी यश की यह फ़िल्म भले ही टिकट खिड़की पर बहुत ज्यादा सफल नहीं रही, लेकिन इस गाने ने तो जैसे इस फ़िल्म को होली के साथ जोड़कर यादगार बना दिया। अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, रेखा और संजीव कुमार की अदाकारी से सजी इस फ़िल्म की होली सिने दर्शकों को अगर आज तक याद है।
होली के दिन दिल... (शोले)
अमिताभ बच्चन के साथ धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की फ़िल्म 'शोले' में खेली गई होली को भी लोग कभी नहीं भूल सकता। फ़िल्म में वीरू बने धर्मेंद्र और बसंती यानी हेमा मालिनी गांव के लोगों के साथ होली खेलते नजर आते हैं। इस गाने में अमिताभ बच्चन भी मौजूद थे, लेकिन एक अलग अंदाज़में। 'शोले' के इस सदाबहार गीत 'होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं... ' को आज भी आप होली खेल रहे मस्तानों की हर टोली में सुन सकते हैं।
होली खेले रघुवीरा... (बाग़बान)
जब काफ़ी समय से बॉलीवुड में होली का गीत शामिल नहीं किया जा रहा था, इससे यह लगने लगा था कि निर्माता शायद अब होली को भूलने लगे हैं। ऐसे में 'बागबान' की होली के साथ संयोग यह रहा कि इस बार भी होली का यह गीत जहां चोपड़ा कैम्प की ही फ़िल्म में देखने को मिला, वहीं पर्दे पर एक बार फिर अमिताभ बच्चन ने ही इसे पेश किया। कहते हैं कि इस गीत की शूटिंग के समय अमिताभ बच्चन ने पहले खुद को होली के रंगो में रंगा और फिर उन्होंने हेमा मालिनी के साथ इस मस्ती भरे गीत को बिना किसी रीटेक के ओके कर दिया।[12]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बॉलीवुड की होली (हिंदी) festival of india। अभिगमन तिथि: 14 मार्च, 2013।
- ↑ होली से से रंगीन रहा है हिंदी सिनेमा (हिन्दी) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 3 मार्च, 2015।
- ↑ फ़िल्म मदर इंडिया
- ↑ फ़िल्म नवरंग
- ↑ फ़िल्म कटी पतंग
- ↑ फ़िल्म शोले
- ↑ फ़िल्म सिलसिला
- ↑ फ़िल्म कामचोर
- ↑ फ़िल्म डर
- ↑ फ़िल्म बागबान
- ↑ आजकल नहीं मिलते होली के गीत (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) लाइव हिन्दुस्तान डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 4 मार्च, 2011।
- ↑ बॉलीवुड की होली में छाए रहे हैं बिग बी (हिंदी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 14 मार्च, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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