धर्मेन्द्र
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पूरा नाम | धर्मेन्द्र सिंह देओल |
जन्म | 8 दिसंबर, 1935 |
जन्म भूमि | फगवाड़ा, कपूरथला ज़िला, पंजाब |
अभिभावक | किशन सिंह देओल |
पति/पत्नी | प्रकाश कौर, हेमा मालिनी |
संतान | पुत्र- सनी देओल (अजय सिंह देओल), बॉबी देओल (विजय सिंह देओल), पुत्री- विजेयता, अजीता, ईशा और आहना |
कर्म भूमि | मुंबई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता, फ़िल्म निर्माता, राजनीतिज्ञ |
मुख्य फ़िल्में | शोले, सत्यकाम, चुपके-चुपके, ग़ुलामी, मेरा गाँव मेरा देश, नौकर बीवी का, आई मिलन की बेला, प्रतिज्ञा, धरमवीर आदि। |
शिक्षा | मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त की |
विद्यालय | आर्य हाई स्कूल, फगवाड़ा |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण (2012), सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 'घायल' (1991), फ़िल्मफ़ेयर लाइफ़टाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1997) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | धर्मेंद्र अभिनेता ही नहीं बल्कि निर्माता भी हैं। वर्ष 1983 में धर्मेंद्र ने अपने बड़े बेटे सन्नी देओल को फ़िल्म 'बेताब' और 1995 में छोटे बेटे बॉबी देओल को 'बरसात' फ़िल्म का निर्माण कर उन्हें बॉलिवुड में पर्दापण कराया। |
अद्यतन | 16:34, 14 अप्रॅल 2014 (IST)
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धर्मेन्द्र (अंग्रेज़ी: Dharmendra, जन्म: 8 दिसम्बर, 1935) हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता, फ़िल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ हैं। इनकी पत्नी हेमा मालिनी, पुत्र सनी देओल और बॉबी देओल भी बॉलीवुड में सक्रिय हैं। ये बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी के 14वीं लोकसभा में सांसद रहे। धर्मेन्द्र, हिंदी फ़िल्मों में अपनी मज़बूत कद काठी और एक्शन के लिए 'हीमैन' के नाम से भी जाने जाते हैं। हिन्दी सिनेमा में अगर अमिताभ बच्चन सदी के महानायक हैं तो धर्मेन्द्र उसी सदी के महा सितारे हैं। धर्मेन्द्र को अपने जमाने का सलमान खान माना जाता था जो अपनी अदाओं से ना सिर्फ दर्शकों की पसंद बने थे बल्कि उनकी दमदार शख्सियत का लोहा विदेशों में भी माना गया था।
जीवन परिचय
8 दिसम्बर, 1935 को साहनेवाल, पंजाब में जन्मे धर्मेन्द्र ने शुरू से ही अभिनेता बनने का ख्वाब देखा था। पंजाबी जाट परिवार से संबंधित धर्मेंद्र का पूरा नाम धर्मेंद्र सिंह देओल है। धर्मेंद्र ने अपना शुरूआती बचपन फगवाड़ा, कपूरथला में व्यतीत किया। इनके पिता केवल किशन सिंह देओल लुधियाना के गांव लालटन के एक स्कूल में हेडमास्टर थे। कुछ समय बाद धर्मेंद्र अपने परिवार के साथ कपूरथला रहने चले गए।[1]
कैरियर की शुरुआत
बॉलिवुड की डगर पर चलने के लिए 1958 में उन्होंने फ़िल्म फेयर टैलेन्ट कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया और चल पड़े एक ऐसे सफर पर जहां उन्हें कामयाबी, शोहरत और पैसा सब मिला। धर्मेद्र ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत अर्जुन हिंगोरानी की 1960 में आई फ़िल्म फ़िल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से की थी। उन्होंने 1960 के दशक के शुरू में कई रोमाटिक फ़िल्मों में काम किया। फ़िल्म, फूल और पत्थर (1966) के साथ उन्होंने फ़िल्मों में अकेले हीरो के रूप में कदम रखा। इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ हीरो के फ़िल्म फेयर पुरस्कार से भी नवाजा गया। 1974 के बाद दर्शकों ने उन्हें एक्शन हीरो के रूप में देखा। अपने कैरियर की शुरुआत में उन्होंने कई प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ अभिनय किया। वह नूतन के साथ 'सूरत और सीरत' (1962) और 'बंदिनी' (1963) में दिखाई दिए तो 1942 में फ़िल्म 'अनपढ़' और 1964 में आई फ़िल्म 'पूजा के फूल' में वह माला सिन्हा के साथ दिखाई दिए। 1962 की फ़िल्म 'शादी' और 1964 में 'आई मिलन की बेला' में वह सायरा बानो के साथ दिखाई दिए। हिंदी फ़िल्म 'आँखें' में जब उन्हें दर्शकों ने एक शेर से लड़ते देखा तो सभी दांतों तले अंगुली दबा गए और उन्हें नाम मिला शेरों का शेर धर्मेद्र। धर्मेद्र को भारत सरकार ने पद्म भूषण से भी सम्मानित किया।[2]
फ़िल्मी सफ़र
एक रोमांटिक हीरो से एक्शन हीरो तक का सफ़र धर्मेन्द्र ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से गुजारा। उन्होंने अपने शुरूआती समय में लगभग सभी बेहतरीन अभिनेत्रियों जैसे नूतन, मीना कुमारी, सायरा बानो आदि के साथ अभिनय किया लेकिन उनकी सबसे अच्छी जोड़ी बनी हेमा मालिनी के साथ जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। दोनों ने कई सुपरहिट फ़िल्मों में काम किया जिनमें राजा जानी, सीता और गीता, तुम हसीन मैं जवां, दोस्त, चरस, मां, चाचा भतीजा और शोले प्रमुख हैं।[1]
प्रसिद्धि
धर्मेन्द्र को सबसे ज्यादा “सत्यकाम” और “शोले” में अभिनय करने के लिए याद किया जाता है। 1975 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म 'शोले' धर्मेंद्र के कैरियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। हिंदी सिनेमा के सुनहरे पन्नों में अपना नाम सुनिश्चित करा चुकी रमेश सिप्पी निर्देशित फ़िल्म 'शोले' ने धर्मेंद्र को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलवाई। इस फ़िल्म के बाद धर्मेंद्र की गिनती विश्व के 25 बेजोड़ अभिनेताओं में होने लगी। अपने कैरियर में धर्मेन्द्र ने हर किस्म के रोल किए। रोल चाहे फ़िल्म सत्यकाम के सीधे-सादे ईमानदार हीरो का हो, फ़िल्म शोले के एक्शन हीरो का हो या फिर फ़िल्म चुपके चुपके के कॉमेडियन हीरो का, सभी को सफलतापूर्वक निभा कर दिखा देने वाले धर्मेंद्र सिंह देओल अभिनय प्रतिभा के धनी कलाकार हैं। साल 1966 में आई उनकी फ़िल्म “फूल और पत्थर” को सबसे अधिक सफलता मिली। इस फ़िल्म के लिए धर्मेन्द्र को पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। इसके साथ ही उन्हें फ़िल्म 'नौकर बीवी का' और 'आई मिलन की बेला' जैसी फ़िल्मों के लिए भी फ़िल्मफेयर पुरस्कार नामित किया गया।[1]
प्रमुख फ़िल्में
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वर्ल्ड आयरन मैन
70 के दशक में धर्मेन्द्र को दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत मर्दों में से एक चुना गया था। यह सम्मान पाने वाले वह भारत के पहले शख्स थे। उनके अलावा यह सम्मान सिर्फ सलमान खान के पास है। इसके साथ ही उन्हें विश्व स्तर पर “वर्ल्ड आयरन मैन अवार्ड” भी हासिल है।[1]
धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी
बॉलिवुड में धर्मेन्द्र के कई किस्से मशहूर हैं जैसे हेमा मालिनी के साथ उनका प्रेम-प्रसंग और विवाह, बिना डुप्लिकेट के एक्शन और भी कई ऐसी बातें हैं जो धर्मेन्द्र को एक बेहतरीन कलाकार के साथ एक बेहतरीन आदमी भी साबित करती हैं। धर्मेंद्र ने दो बार शादी की और दोनों पत्नियों को बनाए रखा है। हेमामालिनी के साथ उनके विवाह के किस्से तो आज भी बॉलिवुड के सबसे हसीन लव स्टोरी में गिने जाते हैं। जब धर्मेद्र ने हेमा मालिनी के साथ सात फेरे लिए, तब तक दोनों एक साथ एक दर्जन से भी अधिक फ़िल्मों में काम कर चुके थे। उस समय धर्मेद्र न केवल विवाहित थे, बल्कि उनकी बेटी की भी शादी हो चुकी थी। बड़े बेटे सनी देओल फ़िल्मों में आने की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में हेमा मालिनी से शादी करने का फैसला करना ज़रूर बड़ा मुश्किल रहा होगा, लेकिन दोनों ने यह फैसला कर ही लिया। फ़िल्म 'शोले' के दौरान हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र के प्रेम के किस्सों को खुद फ़िल्मकारों ने भी सच बताया है। फ़िल्मी पर्दे पर यह जोड़ी चाहे कितनी भी बेहतरीन दिखे पर असल ज़िंदगी में दोनों अलग-अलग रहते हैं। जहां हेमा मालिनी अपनी बेटियों के साथ रहती हैं वहीं धर्मेन्द्र सन्नी और बॉबी देओल के साथ रहते हैं।[1]
फ़िल्म निर्माता
धर्मेंद्र अभिनेता ही नहीं बल्कि निर्माता भी हैं। वर्ष 1983 में धर्मेंद्र ने अपने बड़े बेटे सन्नी देओल को फ़िल्म 'बेताब' और 1995 में छोटे बेटे बॉबी देओल को 'बरसात' फ़िल्म का निर्माण कर उन्हें बॉलिवुड में पर्दापण कराया। वर्ष 2007 में 'अपने' फ़िल्म में सन्नी, बॉबी और धर्मेंद्र पहली बार एक साथ पर्दे पर आए।
सम्मान और पुरस्कार
- पद्म भूषण (2012)
- सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 'घायल' (1991)
- लाइफ़टाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1997)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 बॉलिवुड के हीमैन : धर्मेन्द्र (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 9 दिसम्बर, 2012।
- ↑ 77 का हुआ बॉलीवुड का ही-मैन (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 9 दिसम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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