भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का ध्वज
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का ध्वज
पूरा नाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
संक्षेप नाम भाकपा (CPI)
गठन 26 दिसम्बर, 1925 ई.
संस्थापक मानवेन्द्र नाथ राय
महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी
मुख्यालय नई दिल्ली
विचारधारा वामपंथी
चुनाव चिह्न हंसिया-हथौड़ा
समाचार पत्र न्यू एज (अंग्रेज़ी), मुक्ति संघर्ष (हिन्दी), कालांतर (बंगाली), जनयुगम दैनिक (मलयालम), जनशक्ति दैनिक" (तमिल)
गठबंधन वाम मोर्चा
युवा संगठन ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन
महिला संगठन नेशनल फ्रीडम ऑफ इंडियन वोमेन
श्रमिक संगठन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, भारतीय खेत मज़दूर यूनियन
विद्यार्थी संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन
किसान शाखा ऑल इंडिया किसान सभा
संसद में सीटों की संख्या
लोकसभा 1 / 543
राज्यसभा 3 / 245
आधिकारिक वेबसाइट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (अंग्रेज़ी:Communist Party of India, संक्षेप नाम:भाकपा/सीपीआई) एक 'भारतीय साम्यवादी दल' है, जिसकी स्थापना 26 दिसम्बर, 1925 ई. को कानपुर में की गई थी। वर्ष 1920 ईं. में मानवेन्द्र नाथ राय एवं उनके कुछ अन्य सहयोगियों ने 'साम्यवादी दल' बनाने की घोषणा की थी। एस. पी. घाटे इस दल के महामंत्री नियुक्त किये गए थे। एम. एन. राय की सलाह से कम्युनिस्ट पार्टी को 'कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल' की शाखा मान लिया गया और वर्ष 1928 ई. में कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल ने ही भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की कार्य प्रणाली निश्चित की। पार्टी के महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी हैं। दल का युवा संगठन 'ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन' है।

इतिहास

  • 'पेशावर षड़यंत्र केस' (1922-1923 ई.) से सम्बन्धित होने के कारण साम्यवादी दल के सदस्य काफ़ी चर्चित रहे थे। इस केस से सम्बन्धित मुकदमों के लिए कांग्रेस ने 'केन्द्रीय सुरक्षा समिति' का गठन किया। इन मुकदमों की सुनवाई के लिए जवाहरलाल नेहरू, कैलाश नाथ काटजू एवं डॉक्टर एफ. एच. अंसारी को प्रतिवादियों की ओर से प्रस्तुत किया गया।
  • 1934 ई. तक साम्यवादी दल ने अपने आन्दोलनों के द्वारा भारत में काफ़ी प्रसिद्ध प्राप्त कर ली।
  • जुलाई, 1934 ई. में ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसके विस्तार को देखते हुए साम्यवादी दल पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
  • स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी के नेता आंदोलन में कांग्रेसी नेताओं के साथ थे, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इस दल के नेताओं ने अंग्रेज़ों का साथ दिया।
  • दिसम्बर 1945 में कांग्रेस ने सभी साम्यवादी नेताओं को अपने दल से निकाल दिया।
  • जब भारत के संविधान को अंगीकार कर लिया गया, तब इस दल ने इसे दासता का घोषणा पत्र कहा।
  • इस दल का प्रभाव केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा में मुख्य रूप से है। दल में समय-समय पर कई विभाजन हुए हैं।

चुनाव में प्रदर्शन

2004 के संसदीय चुनाव में दल को 10 सीटें मिली थीं, जबकि 2009 में आँकड़ा सिमट कर महज़ 4 रह गया। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने निराशाजनक प्रदर्शन किया और सिर्फ 1 सीट ही जीत पाई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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