भारतीय संविधान में उप-प्रधानमंत्री पद की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद समय-समय पर इस पद की व्यवस्था की जाती रही है। इस पद का अब तक 7 बार सृजन किया गया है। पहली बार इस पद का सृजन प्रथम लोकसभा के दौरान प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया था। इस प्रकार सरदार बल्लभ भाई पटेल उप-प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले प्रथम व्यक्ति थे। वे 1947-1950 तक इस पद पर आसीन रहे। दूसरी बार इस पद का सृजन इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में 1967-1969 के दौरान किया गया, जब मोरारजी देसाई को इसका दायित्व सौंपा गया। 1977 में सत्ता में आयी मोरारजी देसाई सरकार में दो उप-प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम बनाये गये। इन्हें भी देखें: प्रधानमंत्री एवं कार्यवाहक प्रधानमंत्री
उप-प्रधानमंत्री | अवधि |
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सरदार वल्लभ भाई पटेल | 15 अगस्त, 1947 से 15 दिसम्बर, 1950 |
मोरारजी देसाई | 13 मार्च, 1967 से 19 जुलाई, 1969 |
जगजीवन राम | 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979 |
चौधरी चरण सिंह | 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979 |
वाई. वी. चव्हाण | 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 |
चौधरी देवी लाल | 2 दिसम्बर, 1989 से 1 अगस्त, 1990 |
चौधरी देवी लाल | 10 नवम्बर, 1990 से 21 जून, 1991 |
लालकृष्ण आडवाणी | 29 जून, 2002 से 22 मई, 2004 |
जनता पार्टी से अलग होने के बाद जब चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस के समर्थन में अपनी सरकार बनायी, तब उन्होंने वाई. वी. चव्हाण को उप-प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। तब चव्हाण कांग्रेस छोड़कर चौधरी चरण सिंह के साथ आ गये। इसी प्रकार 1989 में वी. पी. सिंह सरकार में और 1990 में चन्द्रशेखर सरकार में चौधरी देवीलाल को उप-प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया गया था। इसी क्रम में जून, 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को उप-प्रधानमंत्री पद का दायित्व सौंपा।
संवैधानिक दृष्टि से उप-प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के किसी अन्य सदस्य की स्थिति में कोई अन्तर नहीं होता है। परन्तु व्यवहार में उप-प्रधानमंत्री सरकार में प्रधानमंत्री के बाद दूसरे स्थान पर होता है। प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वह प्रधानमंत्री के समस्त दायित्वों का निर्वहन करता है।
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