गंगटोक
गंगटोक
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विवरण | गंगटोक सिक्किम राज्य की राजधानी, पूर्वोत्तर भारत में 1,700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। |
राज्य | सिक्किम |
ज़िला | पूर्व सिक्किम |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 27° 19' 48.00", पूर्व- 88° 37' 12.00" |
मार्ग स्थिति | गंगटोक बागडोगरा हवाई अड्डे से 125 किमी की दूरी पर स्थित है। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि |
बागडोगरा हवाई अड्डा, गुवाहाटी हवाई अड्डा | |
सिलीगुड़ी रेलवे स्टेशन, न्यु जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन | |
साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, मीटर-टैक्सी, सिटी बस | |
क्या देखें | युमथांग घाटी, रुमटेक मठ, सोमगो झील, दो-द्रूल चोर्टेन, इंचे मठ, ताशीदिंग मठ, संगा-चोलिंग मठ, पेमायंगत्से मठ, लिंगदम मठ |
कहाँ ठहरें | होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला |
एस.टी.डी. कोड | 03592 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | राजतंत्र की समाप्ति (1975) से पहले यह सिक्किम राज्य का प्रशासनिक केन्द्र था, जिसे भारत में शामिल करके 1975 में राज्य का दर्जा दिया गया। |
अद्यतन | 16:54, 15 फ़रवरी, 2013 (IST)
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गंगटोक भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित सिक्किम की राजधानी है। यह पूर्वोत्तर भारत में 1,700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सिक्किम अपने ऐतिहासिक मठों तथा प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। गंगटोक देश के प्रमुख महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशनों में एक है। यह शहर पारम्परिकता और आधुनिकता का मिश्रण है। गंगटोक समुद्र तल से 1,547 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ बौद्ध धर्म से संबंधित बहुत-से महत्वूपर्ण स्थान हैं। यहाँ के मठ, स्तूप तथा प्राकृतिक सुंदरता के कारण गंगटोक की यात्रा आने वाले पर्यटकों के मन में सदा सुरक्षित रह सकती है।
राजधानी
सिक्किम नेपाल और भूटान की सीमा पर स्थित है। 19वीं शताब्दी में गंगटोक को यहाँ की राजधानी बनाया गया था। यह सिक्किम के दक्षिणी भाग में स्थित है। गंगटोक शहर रानीपुल नदी के तट पर बसा हुआ है। इस शहर से पूरी कंचनजंघा श्रेणी को देखा जा सकता है। यहाँ के लोग कंचनजंघा को देवी के रूप में पूजते हैं। इस शहर में वर्ष भर वर्षा होती है। इस कारण यहाँ का मौसम बड़ा ही सुहाना हल्का ठंडा रहता है। पर्यटक यहाँ वर्ष भर घूमने आ सकते हैं।
इतिहास
राजतंत्र की समाप्ति (1975) से पहले यह सिक्किम राज्य का प्रशासनिक केन्द्र था, जिसे भारत में शामिल करके 1975 में राज्य का दर्जा दिया गया। सिक्किम राज्य में, लोकप्रिय शहरों सहित ज्यादातर शहरों के पास उचित ऐतिहासिक जानकारी की कमी है। और ऐसा ही है गंगटोक। शहर के इतिहास के बारे में ज्यादा कुछ ज्ञात नहीं है। हालांकि, पहले के रिकॉर्ड की तिथि जो गंगटोक के अस्तित्व के बारे में बात करती है वो 1716 का साल है।
उस साल हर्मिटिक गंगटोक मठ का निर्माण हुआ था। और जब तक शहर में प्रसिद्ध एंचेय मठ का निर्माण हुआ, गंगटोक काफ़ी अनन्वेषित था। हालांकि, वर्ष 1894 में इस जगह को सिक्किम की राजधानी घोषित किये जाने के साथ इसका महत्व बढ़ना शुरू हुआ। गंगटोक में कुछ आपदायें और भूस्खलन देखे गये, जिनमें से एक सबसे बड़ा 1977 में हुआ था। उसमें करीब 38 लोग मारे गए और कई इमारतें नष्ट हो गयीं थीं। शहर ओग गंगटोक पहाड़ी के एक तरफ स्थित है।[1]
भौगोलिक तथ्य
यहाँ बुद्ध की प्रतिमा 1676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, गंगटोक निचले हिमालय में पाया जाता है। शहर 27.33 ° उत्तर 88.62 ° पूर्व पर स्थित है और पहाड़ी के किनारे पर एक छोर पर राज्यपाल के निवास और अन्य पर एक महल स्थित है। गंगटोक के पूर्व और पश्चिम की ओर क्रमशः रोरो चू और रानी खोला झरने बहते हैं। ये धारायें रानीपुल से मिलती हैं जो आगे दक्षिण में बहती हैं। गंगटोक में, ढलानें भूस्खलन के प्रति संवेदनशील हैं, इसके साथ ही साथ से सिक्किम के अन्य भागों में प्रीकैम्ब्रियान चट्टानों में बेलबूटेदार फाईलाइट और सिस्ट होते हैं। और प्राकृतिक नदियों और मानवनिर्मित झरनों में जल प्रवाह भुस्खलन के खतरे को बढ़ाते हैं।
दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंगा गंगटोक के पश्चिमी ओर से देखी जा सकती है। शहर में जलवायु पर्यटक घूमने के लिये साल में कभी भी गंगटोक को चुन सकते हैं, क्योंकि यहां की जलवायु साल भर तक खुशनुमा रहती है। शहर में मानसून प्रभावित उपोष्णकटिबंधीय जलवायु है और गर्मी, सर्दी, मानसून, शरद ऋतु और वसंत के मौसम वैसे ही हैं, जैसे अधिकांश अन्य शहरों में हैं। सर्दियों में यहां बहुत ठंड होती है 1990, 2004, 2005, और 2011 में इस जगह पर बर्फबारी भी हुई थी। मॉनसून और सर्दियों में मौसम कोहरे से भरा रहता है।[1]
उद्योग और व्यापार
गंगटोक मक्का, चावल, दलहन और संतरों का विपणन केन्द्र है। 1962 में तिब्बत से लगने वाली सीमा को बंद किए जाने से पहले यह 21 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित नाथुला[2] के ज़रिये भारत तिब्बत व्यापार मार्ग का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु था। गंगटोक[3] ढलानों पर अवस्थित है, जहाँ सीढ़ीदार खेतों में व्यापक तौर पर मक्का की खेती होती है। यहाँ के महत्त्वपूर्ण निर्यात उत्पाद इलायची और उपोष्णकटिबंधीय फलों का सरकारी उद्यान है। दक्षिण में तादोंग में प्रायोगिक कृषि केन्द्र स्थित है।
संस्कृति
गंगटोक में प्रचलित संस्कृति खूबसूरत और अनूठी है। शहर लोकप्रिय हिन्दू त्योहार दीवाली, दशहरा, होली और क्रिसमस की तरह विभिन्न स्थानीय त्योहार भी मनाता है। गंगटोक में तिब्बतियों के लिए नववर्ष समारोह जनवरी और फरवरी के आसपास होता है। उसे लोसर कहा जाता है और यह पारंपरिक 'शैतान डांस' के साथ मनाया जाता है। शहर में लेपचाओं और भूटिया के लिए नया साल जनवरी में शुरू होता है। गंगटोक में माघ संक्रान्ति और रामनवमी भी दो महत्वपूर्ण नेपाली त्योहार हैं, जो धूम धाम से मनाये जाते हैं। कुछ अन्य उत्सव, जो गंगटोक में लोग मनाते हैं वो हैं दलाई लामा का जन्मदिन द्रुपका तेशी, छोटरुल ड्यूचेन, बुद्ध जयंती, लूसोंग, सागा दावा, लबाब ड्यूचेन और भुमचू।[1]
क्या खायें
यहां सबसे लोकप्रिय भोजन मोमोज़ है। यह बीफ, पोर्क और पकी हुई सब्जियों को आटे में लपेट कर भांप में पकाया जाता है और सूप के साथ परोसा जाता है। यहाँ एक और लोकप्रिय भोजन है, जो नूडल्स से बनता है। गंगटोक में उपलबध नूडल से बने अन्य लोकप्रिय भोजनों में थुपका, चाउमिन, थनथुक, फकथू वानटन और ग्याथुक शामिल हैं।
इसके अलावा, सिक्किम पर्यटन विभाग दिसंबर के महीने में गंगटोक में हर साल एक वार्षिक खाद्य एवं संस्कृति उत्सव का आयोजन करता है। इस उत्सव में सिक्किम के बहु सांस्कृतिक व्यंजनों के स्टॉल लगाये जाते हैं, जहां पारंपरिक ढंग से उन्हें सजाया जाता है. इस मौके पर दर्शकों के मनोरंजन के लिये संगीत एवं लोक नृत्य के प्रदर्शन किये जाते हैं। यह समारोह शहर में एमजी मार्ग पर टाइटैनिक पार्क में आयोजित किया जाता है।[1]
यातायात और परिवहन
गंगटोक से लाहुंग और लाचेन होते हुए उत्तरी सिक्किम राजमार्ग (1962) तिब्बत की सीमा तक जाता है और राष्ट्रीय राजमार्ग दक्षिण पश्चिम दिशा में भारत की ओर जाता है। गंगटोक वायु, रेल या सड़क मार्ग के माध्यम से गंतव्य तक पहुंच सकते हैं।
शिक्षण संस्थान
गंगटोक में 'नामग्याल इंस्टिट्यूट ऑफ़ तिब्बतोलॉज़ी' (1958) नामक शोध केन्द्र है। जिसमें बौद्ध धर्म की महायान शाखा से संबंधित पुस्तकों और दुर्लभ पांडुलिपियों का विश्व का विशालतम संग्रह मौजूद है। गंगटोक में एक अस्पताल, माध्यमिक विद्यालय, अदालत और कुछ आधुनिक दुकानें, होटल व सिनेमाघर भी हैं।
पर्यटन
गंगटोक में ऑर्किड अभयारण्य नामक एक स्थल है, जिसमें सिक्किम में पाए जाने वाले 454 प्रजातियों के ऑर्किड हैं। सोने के गुंबद वाले स्तूप से युक्त दो-द्रूल चोर्टेन है, जिसमें 108 प्रार्थना चक्र हैं और लघु उद्योग संस्थान 'कॉटेज इंडस्ट्रीज़ इंस्टिट्यूट' (1957) भी यहाँ अवस्थित हैं। अन्य पर्यटन स्थलों में चोग्याल का महल गणेश टोक, हनुमान टोक, इंचे मठ, मृग विहार चिड़ियाघर और ताशी व्यू पॉइंट शामिल हैं। विख्यात रूमटेक बौद्ध मठ यहाँ से 8 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और निकटस्थल लक्षियामा में शाही अंत्येष्टि स्थल स्थित है।
- सोमगो झील
- रूमटेक मठ
- इनहेंची मठ
- दो द्रूल चोर्टेन
- ऑर्चिड अभयारण्य
- ताशी लिंग
- टिसुक ला खंग
- पिलींग
- पेमायनस्ती मठ
- एमजी मार्ग
जनसंख्या
यहाँ की आबादी में नेपाली, तिब्बती, लेप्चा और भारतीय लोग शामिल हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 29,162 है, और पूर्वी ज़िले की जनसंख्या 2,44,790 है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में गंगटोक की जनसंख्या 98,658 थी। इस जनसंख्या में 53% पुरुष और 47% महिला आबादी शामिल है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान नास्तिक भारतीय नेपाली गंगटोक में जाकर बस गये और यह वे लोग हैं, जो शहर में बहुसंख्यक हैं। वहीं स्थानीय लेपचा और भूटिया संख्या में काफ़ी कम हैं। और कई तिब्बति इस जगह से चले गये। गंगटोक की औसत साक्षरता दर 82.17% है, जो राष्ट्रीय औसत 74% की तुलना में अधिक है।[1]
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वीथिका
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सिक्किम विधानसभा, गंगटोक
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गंगटोक का एक दृश्य, सिक्किम
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महात्मा गांधी मार्ग, गंगटोक
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गंगटोक का एक दृश्य, सिक्किम
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गंगटोक, सिक्किम
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गंगटोक का एक दृश्य, सिक्किम
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गंगटोक
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गंगटोक, सिक्किम
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 गंगटोक पर्यटन- सिक्किम की धड़कन (हिन्दी) नेटिव प्लानेट। अभिगमन तिथि: 21 सितम्बर, 2016।
- ↑ नाथू दर्रा
- ↑ अर्थ, पर्वत का शिखर
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