भारत में परमाणु ऊर्जा
परमाणु ऊर्जा की भारतीय विद्युत उत्पादन एवं आपूर्ति के क्षेत्र में एक निश्चित एवं निर्णायक भूमिका है। विकासशील देश होने के कारण भारत की सम्पूर्ण विद्युत आवश्यकताओं का एक बड़ा भाग गौर पारम्परिक स्रोतों से पूरा किया जाता है क्योंकि पारम्परिक स्रोतों द्वारा बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सकता। भारत ने नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। इसका श्रेय डॉ. होमी भाभा द्वारा प्रारंभ किए गए महत्त्वपूर्ण प्रयासों को जाता है जिन्होंने भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम की कल्पना करते हुए इसकी आधारशिला रखी। तब से ही परमाणु ऊर्जा विभाग परिवार के समर्पित वौज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा बड़ी सतर्कता के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है। किसी भी राष्ट्र के सम्पूर्ण विकास के लिए विद्युत की पर्याप्त तथा अबाधित आपूर्ति का होना आवश्यक है। विद्युत की मात्रा के संदर्भ में कहें तो किसी राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का पैमाना वहां प्रति व्यक्ति विद्युत खपत की दर से आंका जाता है।[1]
परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना
परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्वक ढंग से उपयोग में लाने हेतु नीतियों को बनाने के लिए 1948 ई. में परमाणु ऊर्जा कमीशन की स्थापना की गई। इन नीतियों को निष्पादित करने के लिए 1954 ई. में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की स्थापना की गई। परमाणु ऊर्जा विभाग के परिवार में पाँच अनुसंधान केंद्र हैं-
- भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC)- मुंबई, महाराष्ट्र।
- इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR)- कलपक्कम, तमिलनाडु।
- उन्नत तकनीकी केंद्र (CAT) - इंदौर।
- वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन केंद्र (VECC) - कोलकाता।
- परमाणु पदार्थ अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय (AMD)- हैदराबाद।
परमाणु ऊर्जा विभाग सात राष्ट्रीय स्वायत्त संस्थानों को भी आर्थिक सहायता देता है, वे हैं-
- टाटा फंडामेंटल अनुसंधान संस्थान (TIFR)- मुम्बई।
- टाटा स्मारक केंद्र (TMC) - मुंबई।
- साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान (SINP)- कोलकाता।
- भौतिकी सँस्थान (IOP)- भुवनेश्वर।
- हरिश्चंद्र अनुसंधान संस्थान (HRI)- इलाहाबाद।
- गणितीय विज्ञान संस्थान (IMSs) - चेन्नई
- प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान (IPR)- अहमदाबाद।
नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम
1940 ई. के दौरान देश के यूरेनियम और बड़ी मात्रा में उपलब्ध थोरियम संसाधनों के प्रयोग के लिए तीन चरण वाले परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का गठन किया गया। कार्यक्रम के चल रहे पहले चरण में बिजली के उत्पादन के लिए प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन वाले भारी दबाव युक्त पानी रिएक्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। उपयोग में लाए गए ईंधन को जब दुबारा संसाधित किया जाता है तो उससे प्लूटोनियम उत्पन्न होता है जिसका प्रयोग दूसरे चरण में द्रुत ब्रीडर रिएक्टर में विच्छेदित यूरेनियम के साथ ईंधन के रूप में किया जाता है। दूसरे चरण में उपयोग में लाए ईंधन को दुबारा संसाधित करने पर अधिक प्लूटोनियम और यूरोनियम-233 उत्पादित होता है, जब थोरियम का उपयोग आवरण के रूप में किया जाता है।[1]
नाभिकीय ऊर्जा केंद्र
भारत में 17 परिचालित नाभिकीय ऊर्जा रिएक्टर (दो क्वथन जलयुक्त रिएक्टर और 15 पी एच डब्लू आर एस) हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 4120 मेगावाट इकाई है। भारत में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र की रूपरेखा, निर्माण और संचालन की क्षमता पूरी तरह तब प्रतिष्ठित हुई जब चेन्नई के पास कलपक्कम में 1984 और 1986 में दो स्वदेशी पी एच डब्ल्यू आर एस की स्थापना की गई। वर्ष 2008 में एनपीसीआईएल के परमाणु संयंत्रों से 15,430 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ। तारापुर परमाणु विद्युत परियोजना-3 एवं 4 की 540 मेगावाट की इकाई-4 को 5 वर्षों से कम समय में ही मार्च 2005 को क्रांतिक किया गया। कैगा 3 एवं 4 का निर्माण प्रगत अवस्था में है तथा कैगा-3 के अधिचालन की गतिविधियाँ शुरू की जा चुकी हैं। इन इकाइयों को 2007 तक पूरा किया जाना है। तमिलनाडु के कंदुनकुलम में परमाणु ऊर्जा केंद्र की स्थापना करने के लिए भारत ने रूस से समझौता किया।[1]
भारी जल उत्पादन
भारी जल का इस्तेमाल पी एच डब्ल्यू आर में परिमार्णक और शीतलक के रूप में किया जाता है। भारी जल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना निम्नलिखित जगहों पर की गई है-
- नांगल (पंजाब), भारत का पहला भारी जल संयंत्र जिसकी स्थापना 1962 में की गई;
- वडोदरा (गुजरात)
- तालचेर (उड़ीसा)
- तूतीकोरिन (तमिलनाडु)
- थाल (महाराष्ट्र)
- हज़ीरा (गुजरात)
- रावतभाटा (गुजरात)
- मानुगुरू (आंध्र प्रदेश)
नाभिकीय ईंधन उत्पादन
हैदराबाद का नाभिकीय ईंधन कॉम्पलेक्स दबावयुक्त जल रिएक्टर के लिए आवश्यक ईंधन के तत्वों को तैयार करता है। यह तारापुर के क्वथन जल रिएक्टर के लिए आयात यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड से संवर्धित यूरेनियम ईंधन के तत्वों का भी उत्पादन करता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 भारत में परमाणु ऊर्जा (हिन्दी) (पी.एच.पी) जागरण जोश। अभिगमन तिथि: 27 अक्टूबर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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