मंसूर अली ख़ाँ (1829-1884 ई.) बंगाल का अंतिम नवाब नाजिम था।
- इससे पहले मुर्शिदाबाद के नवाबों को 19 तोपों की सलामी का अधिकार मिला हुआ था।
- उन्हें दीवानी अदालतों में हाजिर नहीं होना पड़ता था।
- इस प्रकार के समस्त अधिकार मंसूर अली ख़ाँ से छीन लिए गये।
- उसके वेतन और भत्तों में भी कमी कर दी गई।
- मंसूर अली ख़ाँ स्वयं इंग्लैण्ड गया और वहाँ 'हाउस ऑफ़ कॉमन्स' में अपील की।
- वहाँ उसकी अपील को नामंजूर कर दिया गया।
- इसके फलस्वरूप 1880 ई. में मंसूर अली ख़ाँ ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 343 |