मरियम
मरियम यीशु मसीह की माँ का नाम था, जिन्हें 'कुँवारी माता', 'ख़ुदावंद की माँ' या 'मुक़द्दस कुँआरी मरियम' भी कहा जाता है। उनकी कहानी 'बाईबल' के 'नया नियम' में बताई गई है, जिसके अनुसार वह फ़िलिस्तीन के इलाक़े गलील के शहर नासरत में रहने वाली एक यहूदी लड़की थी। इंजील ब-मुताबिक़़ मत्ती, इंजील ब-मुताबिक़़ लूक़ा और क़ुरान में बताया गया है कि मरियम कुँआरी थीं। उनके व्यक्तित्व को ईसाई धर्म तथा इस्लाम में भी पवित्र और पूजनीय माना जाता है।
इब्रानी भाषा में 'मिर्याम' का अर्थ है- 'उच्च, उन्नत, प्रतिष्ठित'। यूनानी में वह 'मारिया' बन गया है। बाइबिल के पूर्वार्ध में यह मूसा की बहन का नाम है और उत्तरार्ध में मरियम मगदलेन, बेथानी की मरियम आदि अनेक अन्य स्त्रियों के अतिरिक्त यह ईसा मसीह की माता का भी नाम है।
संत लूकस के सुसमाचार के प्रथम दो अध्यायों में ईसा की माता मरियम के विषय में प्रचुर सामग्री मिलती है। फिलिस्तीन के उत्तरी प्रदेश गलीलिया के नाजरेथ गाँव में रहने वाली कुमारी मरियम को एक देवदूत दिखाईं पड़ा और उसने कहा- "हे भगवत्कृपा से परिपूर्ण! आपको प्रणाम है। प्रभु आपके साथ है। डरिए नहीं। आपको ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त है। देखिए, आप गर्भवती होंगी और पुत्र जनेंगी, आप उनका नाम येसु रखिएगा।"
मरियम ने उत्तर दिया कि- "यह कैसे संभव है। मेरा किसी पुरुष से कोई संबंध नहीं रहा।"
इस पर देवदूत ने उनको आश्वासन दिया कि- "सर्वोच्च प्रभु की शक्ति की छाया उन पर उतरेगी और उसी के प्रभाव से वह मसीह की माता बनेंगी।"
मरियम ने अपनी सहमति प्रकट की और वह पवित्र आत्मा की शक्ति से गर्भवती हो गई।
संत मत्ती के सुसमाचार में भी ईसा के अलौकिक जन्म का वृत्तांत मिलता है। बाद में मरियम का यूसूफ के साथ विवाह संपन्न हुआ, किंतु फिर भी वह जीवन भर कुँवारी ही रहीं और उनके कोई दूसरी संतान नहीं हुई।
ईसा ईश्वर के अवतार हैं, अत: ईसा की माता होने के नाते ईसाई लोग मरियम को ईश्वर की माता कहकर पुकारते हैं। बाइबिल में अंकित उनके चरित्र के आधार पर वे मरियम को निष्पाप एवं निष्कलंक (आदि पाप से मुक्त्त) मानते हैं। काथलिक चर्च के एक धर्म सिद्धांत के अनुसार वह अब अपने पुत्र की तरह सशरीर स्वर्ग में विराजमान हैं।[1][2]
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