मैगस्थनीज़ ने 'इण्डिका' में भारतीय जीवन, परम्पराओं, रीति-रिवाजों का वर्णन किया है। मैगस्थनीज़ को अपने समय का एक बेहतरीन विदेशी यात्री और यूनानी भूगोलविद माना जाता था।
- चंद्रगुप्त मौर्य एवं सेल्युकस के मध्य हुई संधि के अंतर्गत, जहां सेल्यूकस ने अनेक क्षेत्र 'एरिया', 'अराकोसिया', 'जेड्रोशिया', 'पेरापनिसदाई' आदि चन्द्रगुप्त को प्रदान किये, वहीं उसने मैगस्थनीज़ नामक यूनानी राजदूत भी मौर्य दरबार में भेजा।
- भारत में राजदूत नियुक्त होने से पूर्व मैगस्थनीज़ 'एराक्रोशिया' के क्षत्रप 'सिबाइर्टिओस' के यहां महत्त्वपूर्ण अधिकारी के पद पर कार्यरत था।
- 'शानबैक' ने 1846 में इस ग्रंथ के बिखरे हुए अंशों को 'मैगस्थनीज़ इण्डिका' नामक शीर्षक ग्रंथ में संग्रहित किया।
- उसने भारत की आकृति को अनियमित सम चतुर्भुज के समान बताया, जिसका पूर्व से पश्चिम की ओर विस्तार 28,000 स्टेडिया एवं उत्तर से दक्षिण की ओर विस्तार 32,000 स्टेडिया था।
- मैगस्थनीज़ ने गंगा नदी एवं सिंधु नदी का ज़िक्र अपने ग्रंथ में किया है और साथ ही कुल भारतीय नदियों की संख्या 58 बतायी है।
- उसने 'सिलास' नामक एक ऐसी नदी का उल्लेख किया है, जिसमें कुछ भी तैर नहीं सकता था।
- मैगस्थनीज़ ने भारत से प्राप्त होने वाली खनिज सम्पदा में सोना, चांदी, ताँबा एवं टिन की प्रशंसा की है।
- मैगस्थनीज़ के अनुसार भारत में चीटियां सोने का संग्रह करती थीं।
- पशुओं में मैगस्थनीज़ भारतीय हाथी से काफ़ी प्रभावित था।
- पक्षियों में तोते के बारे में मैगस्थनीज़ का कहना है कि, ये बच्चों की तरह बातें करते थे।
- उसने भारतीय समाज को सात वर्गों में बांटा है-
- ब्राह्मण एवं दार्शनिक- इनकी संख्या अल्प थी।
- कृषक- इनकी संख्या सर्वाधिक थी।
- पशुपालक एवं आखेटक- इनका जीवन भ्रमणशील था।
- व्यापारी, मज़दूर एवं कारीगर
- योद्धा व सैनिक- संख्या की दृष्टि से कृषकों के बाद दूसरे स्थान पर।
- निरीक्षक एवं गुप्तचर
- मंत्री एवं परामर्शदाता- ये संख्या में सबसे अल्प थे, पर अधिकार में सबसे आगे थे।
- मैगस्थनीज़ के अनुसार मौर्य काल में बहुविवाह प्रथा का प्रचलन था। शिक्षा व्यवस्था ब्राह्मण करते थे।
- दास प्रथा का प्रचलन नहीं था। मैगस्थनीज़ ने भारतीय लोगों की ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि चोरी प्रायः नहीं होती थी।
- मेगस्थनीच ने भारतवासियों की धार्मिक भावना पर प्रकाश डालते हुए बताया है कि, "यहाँ के लोग 'डायोनियस' (शिव) एवं 'हेराक्लीज' (कृष्ण) की उपासना करते थे"।
- उसने अपनी यात्रा के विवरण में पाटलिपुत्र का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया है। उसने पाटलिपुत्र को 'पालिब्रोथा' नाम से सम्बोधित किया है।
- अपने वर्णन में उसने पाटलिपुत्र को सोन नदी एवं गंगा नदी के संगम पर स्थित तत्कालीन भारतका सबसे बड़ा नगर बताया है।
- यह नगर 80 स्टेडिया लम्बा एवं 15 स्टेडिया चौड़ा था। यह नगर चारों ओर से लगभग 184 मीटर चौड़ी एवं 30 क्युबिक गहरी खाई से घिरा था।
- यही पर चन्द्रगुप्त मौर्य का अनोखा राजप्रसाद स्थित था।
- मैगस्थनीज़ के अनुसार- यहां का शासन कुल 30 सदस्यों द्वारा 5-5 सदस्यों की 6 समितियां करती थीं।