मैनूँ की होया मैथों गई गवाती मैं -बुल्ले शाह
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मैनूँ की होया मैथों गई गवाती मैं, |
हिन्दी अनुवाद
मुझे क्या हो गया है?
मुझमें से 'ममत्व' लुप्त हो गया है।
मैं एक पगली के समान कहता हूँ-
ओ लोगो, मुझे क्या हो गया है
जब मैं अपने अन्तःकरण में झाँकता हूँ
तो मैं वहाँ स्वयं को नहीं पाता। तुम ही मेरे भीतर निवास करते हो
सिर से पैर तक तुम ही विद्यमान हो।
भीतर और बाहर तुम ही हो।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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