यो ददाति सतां शंभु
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| कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
| मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
| मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
| प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
| शैली | दोहा, चौपाई और सोरठा |
| संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
| काण्ड | लंकाकाण्ड |
यो ददाति सतां शंभुः कैवल्यमपि दुर्लभम्। |
- भावार्थ
जो सत पुरुषों को अत्यंत दुर्लभ कैवल्यमुक्ति तक दे डालते हैं और जो दुष्टों को दंड देने वाले हैं, वे कल्याणकारी शंभु मेरे कल्याण का विस्तार करें॥ 3॥
| यो ददाति सतां शंभु |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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