रघुनाथदास
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रघुनाथदास महाप्रभु चैतन्य के छ: प्रमुख अनुयायी भक्तों में से एक थे। ये वृन्दावन (मथुरा, उत्तर प्रदेश) में रहते थे और अपने शेष पाँच सहयोगी गोस्वामियों के साथ चैतन्य मत के ग्रंथ लेखन तथा साम्प्रदायिक क्रियाओं का रूप तैयार करने में लगे रहते थे।[1]
- रघुनाथदास अपने साथ के गोस्वामी गणों के साथ भक्ति, दर्शन, क्रिया (आचार) पर लिखते थे, भाष्य रचते थे, सम्प्रदाय सम्बंधी काव्य तथा प्रार्थना लिखते थे।
- इनके द्वारा लिखे गए ग्रंथ सम्प्रदाय की पूजा पद्धति एवं दैनिक जीवन पर प्रकाश डालने के लिए लिखे जाते थे।
- इन लोगों ने मथुरा एवं वृन्दावन के आस-पास के पवित्र स्थानों को ढूँढा तथा उनका ‘मथुरामाहात्म्य’ में वर्णन किया और एक यात्रापथ (वनयात्रा) की स्थापना की, जिस पर चलकर सभी पवित्र स्थानों की परिक्रमा यात्री कर सकें। इन लोगों ने वार्षिक ‘रासलीला’ का अभिनय भी आरम्भ किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 541 |