रतनारी हों थारी आँखड़ियाँ। प्रेम छकी रसबस अलसाड़ी, जाणे कमल की पाँखड़ियाँ॥ सुंदर रूप लुभाई गति मति, हो गईं ज्यूँ मधु माँखड़ियाँ॥ रसिक बिहारी वारी प्यारी, कौन बसी निस काँखड़ियाँ॥