रहिमन वे नर मर चुके -रहीम
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‘रहिमन’ वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं ।
उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं ।
- अर्थ
जो मनुष्य किसी के सामने हाथ फैलाने जाते हैं, वे मृतक के समान हैं। और वे लोग तो पहले से ही मृतक हैं, मरे हुए हैं, जो माँगने पर भी साफ इन्कार कर देते हैं।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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