रहिमन वे नर मर चुके -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

‘रहिमन’ वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं ।
उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं ।

अर्थ

जो मनुष्य किसी के सामने हाथ फैलाने जाते हैं, वे मृतक के समान हैं। और वे लोग तो पहले से ही मृतक हैं, मरे हुए हैं, जो माँगने पर भी साफ इन्कार कर देते हैं।


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख