रामगिरि

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रामगिरि एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- रामगिरि (बहुविकल्पी)

रामगिरि को महाकवि कालिदास के 'मेघदूत' में वर्णित यक्ष के निर्वासन काल का स्थान बताया गया है-

'काश्चित्कांताविरहगुरुणा स्वाधिकारप्रमत्तः, शापेनास्तं गमितमहिमा वर्षभोग्येन भर्तु:, यक्षश्चक्रे जनकतनयास्नानपुण्योदकेषु, स्निग्धच्छायातरुषु वसतिं रामगिर्याश्रमेषु।'[1]

'वद्यैः पुंसां रघुपतिपदैरंकितं मेखलासु।'

  • रामटेक में प्राचीन परंपरागत किंवदंती है कि श्रीराम ने वनवास काल का कुछ समय इस स्थान पर सीता और लक्ष्मण के साथ व्यतीत किया था।[3]
  • रामगिरि के आगे 'मेघ' की अलका यात्रा के प्रसंग में पहाड़ और नदियों का जो वर्णन कालिदास ने किया है, वह भी भौगोलिक दृष्टि से रामटेक को मेघ का प्रस्थान बिंदु मानकर ठीक बैठता है।
  • कुछ विद्वानों के मत में उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत चित्रकूट ही को कालिदास ने रामगिरि कहा है, किंतु यह अभिज्ञान नितांत संदिग्ध है; क्योंकि चित्रकूट से यदि मेघ अलका के लिए जाता तो उसे ठीक उत्तर-पश्चिम की ओर सरल रेखा में यात्रा करनी थी और इस दशा में उसके मार्ग में मालदेश, आम्रकूट, नर्मदा, विदिशा आदि स्थान पड़ते, क्योंकि ये स्थान चित्रकूट के दक्षिण-पश्चिम में है।
  • कुछ विद्वानों ने भूतपूर्व सरगुजा रियासत[4] के 'रामगढ़' से ही रामगिरि का अभिज्ञान किया है।

'भूषन भनत भागनगरी कुतुब साइ दै करि गंवायो रामगिरि से गिरीस को, सरजा सिवाजी जयसिंह मिरजा को लीबे सौगुनी बड़ाई गढ़ दीन्हें दिलीस को।'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पूर्वमेघ 1.
  2. सरोवर इत्यादि
  3. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 788 |
  4. पहले मध्य प्रदेश के अंतर्गत
  5. छंद 214
  6. गोलकुंडा के सुल्तान

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