विनायक पांडुरंग करमरकर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
विनायक पांडुरंग करमरकर
विनायक पांडुरंग करमरकर
पूरा नाम विनायक पांडुरंग करमरकर
जन्म 2 अक्टूबर, 1891
जन्म भूमि मुम्बई प्रेसीडेंसी (आज़ादी से पूर्व)
मृत्यु 13 जून, 1967
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र मूर्तिकला
विद्यालय सर जमशेदजी जीजाभाई स्कूल ऑफ आर्ट
पुरस्कार-उपाधि 'पद्म श्री, 1964
प्रसिद्धि मूर्तिकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अलीबाग के पास सासावने गांव में विनायक पांडुरंग करमरकर के घर पर मूर्तियों का 'करमारकर संग्रहालय' स्थापित किया गया है।

विनायक पांडुरंग करमरकर (अंग्रेज़ी: Vinayak Pandurang Karmarkar, जन्म- 2 अक्टूबर, 1891; मृत्यु- 13 जून, 1967) भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार थे। अपनी मूर्तिकला के माध्यम से उन्होंने देश-विदेश में बहुत सम्मान पाया। भारत सरकार ने वर्ष 1964 में मूर्तिकार विनायक पांडुरंग करमरकर को 'पद्म श्री' से पुरस्कृत किया था।

  • नाना साहेब करमरकर के नाम से लोकप्रिय विनायक पांडुरंग करमरकर का जन्म 2 अक्टूबर, 1891 को मुम्बई प्रेसीडेंसी (आज़ादी से पूर्व) में हुआ था।
  • उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियों के लिए जाना जाता है।
  • अलीबाग के पास सासावने गांव में विनायक पांडुरंग करमरकर के घर पर मूर्तियों का 'करमारकर संग्रहालय' स्थापित किया गया है। यह अलीबाग-रेवास रोड, महाराष्ट्र से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित संग्रहालय है, जहां विनायक पांडुरंग करमरकर द्वारा बनाए गई मूर्तियों को उनके बंगले में प्रदर्शित किया गया है।
  • विनायक पांडुरंग करमरकर के पिता एक किसान थे और संगीत के प्रति झुकाव रखते थे।
  • गणेश उत्सव के दौरान विनायक पांडुरंग करमरकर गणेश की मूर्तियों को तराशते थे।
  • विनायक पांडुरंग करमरकर अपने घर की दीवारों को पेंट करते और मिट्टी से छोटी-छोटी मूर्तियाँ बनाते। उन्हें बचपन से ही मूर्तियां बनाने का शौक था।
  • उन्होंने एक बार राम मंदिर की दीवारों पर घोड़े पर छत्रपति शिवाजी महाराज की एक पेंटिंग बनाई थी, जिसे ग्रामीणों और जिला कलेक्टर ओटो रोथफील्ड ने खूब सराहा था। बाद में उन्हें मुंबई के सर जमशेदजी जीजाभाई स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला दिलाया गया।
  • विनायक पांडुरंग करमरकर ने परीक्षा में टॉप किया और उन्हें 'लॉर्ड मेयो मेडल' से सम्मानित किया गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख