वी. एस. अच्युतानन्दन
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वी. एस. अच्युतानन्दन
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पूरा नाम | वेलिक्ककतु शंकरन अच्युतानन्दन |
जन्म | 20 अक्टूबर 1923 |
जन्म भूमि | आलप्पुषा, केरल |
पति/पत्नी | के. वसुमति |
संतान | वी. ए. अरुणकुमार, डॉ. वी. वी. आशा |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) |
पद | भूतपूर्व मुख्यमंत्री, केरल |
कार्य काल | 18 मई 2006 से 14 मई 2011 तक |
अन्य जानकारी | 1964 में सीपीआई राष्ट्रीय परिषद छोड़कर सीपीएम का गठन करने वाले 32 सदस्यों में से वी. एस. अच्युतानन्दन भी एक रहे। 1980 से 1992 तक वे केरल में राज्य समिति के सचिव रह चुके हैं। |
बाहरी कड़ियाँ | 11:04, 26 फ़रवरी 2020 (IST)
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वेलिक्ककतु शंकरन अच्युतानन्दन (अंग्रेज़ी: Velikkakathu Sankaran Achuthanandan, जन्म- 20 अक्टूबर 1923) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राजनीतिज्ञ हैं, जो केरल के ग्यारहवें मुख्यमंत्री रहे हैं। वह 18 मई 2006 से 14 मई 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे।
- वी. एस. अच्युतानन्दन केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, जो सीपीएम के संस्थापक नेताओं में से एक हैं। केरल में वामपंथी दल की जमीन तैयार करने और कार्यकर्ताओं के स्तर पर संगठन निर्माण में उनकी प्रमुख भूमिका रही है। 1985 से जुलाई 2009 तक अच्युतानंदन सीपीएम के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रह चुके हैं।
- अच्युतानंदन ने अपने मुख्यमंत्री काल में कई बड़े फैसले किए और उनके लिए जमीनी संघर्ष भी किया। राज्य में लॉटरी माफिया और फिल्म पाइरेसी के खिलाफ मुहिम इनमें से एक है। अच्युतानंदन ने राज्य में मुफ्त सॉफ्टवेयर को बढ़ावा देने का काम किया, खासकर राज्य के सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में मुफ्त सॉफ्टवेयर अपनाने को लेकर उन्होंने खूब काम किया।
- चार साल की उम्र में ही वी. एस. अच्युतानन्दन की माता का देहांत हो गया, जबकि 11 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया। माता-पिता की अकाल मृत्यु के बाद वी. एस. अच्युतानन्दन ने पढ़ाई छोड़ दी। इस तरह उन्होंने सिर्फ 7वीं तक की पढ़ाई पूरी की।
- वे अपने बड़े भाई के साथ गांव में दर्जी की दुकान में काम करने लगे। हालांकि बाद में उन्होंने नारियल की रस्सी बनाने वाली फैक्ट्री में काम शुरू किया।
- उनकी राजनीतिक यात्रा कुट्टनाड में खेतीहर मजदूरों को संगठित करने से शुरू हुई। कॉमरेड कृष्णा पिल्लई ने वी. एस. अच्युतानन्दन को राजनीतिक आंदोलनों से जोड़ा, जिसके बाद वह स्वतंत्रता संग्राम और फिर वामपंथी आंदोलन से जुड़े।
- पुन्नपड़ा-वायलार विद्रोह और त्रावणकोर के दीवान सी.पी. रमैयास्वामी के नीतियों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वह आगे की पंक्ति में रहे। उन्हें 28 अक्टूबर 1946 को गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान उन्हें खूब यातनाएं दी गईं। अपने राजनीतिक जीवन में वी. एस. अच्युतानन्दन करीब साढ़े पांच साल जेल में रहे, जबकि 4 साल उन्हें भूमिगत जीवन बिताना पड़ा।
- वी. एस. अच्युतानन्दन केरल में भूमि आंदोलन के दौरान सबसे आगे की पंक्ति के नेताओं में शुमार रहे। बाद में केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर उनके कार्यों को जनता में खूब सराहना मिली। 1938 में ट्रेड यूनियन की गतिविधियों से होते हुए वे राज्य कांग्रेस में शामिल हुए। 1940 में वह सीपीआई के सदस्य बने। वह 1957 में सीपीआई के राज्य सचिवालय के सदस्य भी रहे।
- 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान वी. एस. अच्युतानन्दन ने पार्टी में शामिल राष्ट्रवादियों का साथ दिया और भारतीय खेमे का समर्थन किया। उन पर और उनके कुछ अन्य साथियों पर इस बाबत अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। भारतीय सेना के लिए आयोजित एक रक्तदान शिविर में हिस्सा लेने के कारण उनको पार्टी रैंक में डिमोशन का सामना भी करना पड़ा।
- 1964 में सीपीआई राष्ट्रीय परिषद छोड़कर सीपीएम का गठन करने वाले 32 सदस्यों में से वी. एस. अच्युतानन्दन भी एक रहे। 1980 से 1992 तक वे केरल में राज्य समिति के सचिव रह चुके हैं। सन 1967, 1970, 1991, 2001 और 2006 में केरल विधानसभा के सदस्य भी चुने गए।
- साल 1992 से 1996, 2001 से 2006 तक और फिर 2011 से वह विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।
- 2006 में 18 मई को वी. एस. अच्युतानन्दन ने अपने 21 सदस्यीय कैबिनेट के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 87 साल और 7 महीने की उम्र में सत्तासीन वह केरल के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री हुए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 7वीं पास के 87 की उम्र में CM बनने की कहानी... (हिंदी) aajtak.intoday.in। अभिगमन तिथि: 25 फरवरी, 2020।
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |