सोया था संयोग उसे किस लिए जगाने आए हो? क्या मेरे अधीर यौवन की प्यास बुझाने आए हो?? रहने दो, रहने दो, फिर से जाग उठेगा वह अनुराग। बूँद-बूँद से बुझ न सकेगी, जगी हुई जीवन की आग॥ झपकी-सी ले रही निराशा के पलनों में व्याकुल चाह। पल-पल विजन डुलाती उस पर अकुलाए प्राणों की आह॥ रहने दो अब उसे न छेड़ो, दया करो मेरे बेपीर! उसे जगाकर क्यों करते हो? नाहक मेरे प्राण अधीर॥