सखी बचन सुनि भै परतीती
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सखी बचन सुनि भै परतीती
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
सखी बचन सुनि भै परतीती। मिटा बिषादु बढ़ी अति प्रीती॥ |
- भावार्थ-
सखी के वचन सुनकर रानी को (राम के सामर्थ्य के संबंध में) विश्वास हो गया। उनकी उदासी मिट गई और राम के प्रति उनका प्रेम अत्यंत बढ़ गया। उस समय राम को देखकर सीता भयभीत हृदय से जिस-तिस (देवता) से विनती कर रही हैं।
सखी बचन सुनि भै परतीती |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख