सफ़दरजंग का मक़बरा
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विवरण | 'सफ़दरजंग का मक़बरा' दिल्ली के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है। मक़बरे में सफ़दरजंग और उनकी बेगम की क़ब्र बनी हुई है। |
केंद्र शासित प्रदेश | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली |
निर्माण काल | 1753-54 ई. |
निर्माणकर्ता | नवाब शुजाउद्दौला |
स्थापत्य | मुग़ल बास्तुकला |
देखने का समय | यह आम लोगों के लिए सूर्योदय से सूर्यास्त तक सभी दिन खुला रहता है। |
संबंधित लेख | मुग़ल काल, मुग़ल वंश, मुग़ल साम्राज्य, शुजाउद्दौला, मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला |
अन्य जानकारी | यह मक़बरा मुग़ल काल की ऐसी अंतिम वास्तुकला है, जो मुग़ल साम्राज्य के बादशाह औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद बनाई गई थी। यह दिल्ली में स्थित हुमायूँ के मक़बरे की वास्तुकला से काफ़ी प्रेरित है। |
सफ़दरजंग का मक़बरा दिल्ली का अंतिम परिबद्ध[1] बाग़ीचों वाला मक़बरा है। यह मक़बरा अत्यधिक आकर्षक नहीं है। मुग़लकालीन वास्तुकला की आखिरी झलक इस मक़बरे में दिखाई देती है। यह मक़बरा लोदी मार्ग, नई दिल्ली में स्थित है।
निर्माण
सफ़दरजंग का मक़बरा दिल्ली की प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। यह मक़बरा दक्षिण दिल्ली में औरोबिंदो मार्ग पर लोदी मार्ग के पश्चिमी छोर के ठीक सामने स्थित है। 1753-54 ई. में बनवाया गया यह मक़बरा नवाब शुजाउद्दौला ने अपने पिता मिर्ज़ा मुकिम अबुल मंसूर ख़ान, जो कि सफरदजंग के रूप में जाने जाते थे, उनकी याद में बनवाया था। सफ़दरजंग मुग़ल काल में सन 1719-1748 ई. में मुग़ल बादशाह मुहम्मदशाह की अवधि में प्रधानमंत्री नियुक्त हुए थे। सफ़दरजंग की उपाधि बादशाह मुहम्मदशाह ने ही उन्हें दी थी।
स्थापत्य
इस मक़बरे में सफ़दरजंग और उनकी बेगम की क़ब्र बनी हुई है। इसे आज भी मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। केन्द्रीय इमारत में एक बड़ा गुम्बद है, जो सफ़ेद संगमरमर पत्थर से निर्मित है। शेष इमारत लाल बलुआ पत्थर से बनी है। इसका स्थापत्य हुमायूँ के मक़बरे के ढांचे पर ही आधारित है। मोती महल, जंगली महल और बादशाह पसंद नाम से पैवेलियन भी बने हुए हैं। चारों ओर पानी की चार झीलें हैं, जो चार इमारतों तक जाती हैं। पूर्व दिशा में मुख्य द्वार है, जो औरोबिन्दो मार्ग पर स्थित है। अन्य इमारतों में लोगों के लिए रिहायशी सुविधाएं हैं। मुख्य इमारत में जुड़े हुए ही चार अष्टकोणीय मीनारें भी हैं।
हुमायूँ के मक़बरे से प्रेरित
यह मक़बरा मुग़ल काल की ऐसी अंतिम वास्तुकला है, जो मुग़ल साम्राज्य के बादशाह औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद बनाई गई थी। यह दिल्ली में स्थित हुमायूँ के मक़बरे की वास्तुकला से काफ़ी प्रेरित है। सफ़दरजंग का मक़बरा बग़ीचे के बीच में 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनवाया गया था और मुख्य क़ब्र एक बड़े गुंबद में है। सफ़दरजंग के अलावा उनकी पत्नी की भी क़ब्र यहां स्थित है। यहां एक मस्जिद भी है। इस परिसर में चार पानी की नहरें और चार इमारतें भी हैं। चार दीवारों में यह क़ब्र मुग़ल वास्तुकला के चिराग की अंतिम झिलमिलाहट के रूप में याद की जाती है। पार्क के केन्द्र में खड़ा यह मक़बरा बहुत सुंदर तरीके से तराशा गया है। गुम्बद का मुख्य द्वार बहुत सुंदर है और मक़बरे के सामने बहुत खूबसूरत मुग़ल गार्डन है, जिसे 'चारबाग़' के नाम से भी जाना जाता है।
कब जाएँ
सफ़दरजंग का मक़बरा एक प्रमुख विरासत और देश के ऐतिहासिक स्थल के रूप में गिना जाता है। यह आम लोगों के लिए सूर्योदय से सूर्यास्त तक सभी दिन खुला रहता है। रविवार को भी यह खुला रहता है।
प्रवेश शुल्क
भारतीयों के लिए इस मक़बरे का प्रवेश शुल्क बहुत कम है। उन्हें एक व्यक्ति के लिए पाँच रुपया प्रवेश शुल्क देना होता है, जबकि बाहरी पर्यटकों के लिए शुल्क सौ रुपये है।[2]यदि पर्यटक यहाँ की तस्वीरें लेना चाहें तो अतिरिक्त भुगतान करके तस्वीरें ली जा सकती हैं। मक़बरे के पास ऐसे कई दर्शनीय स्थल हैं, जहां पर पर्यटक घूम सकते हैं। खाने-पीने, ख़रीदारी करने के भी विकल्प यहाँ मौजूद हैं।[3]
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वीथिका
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सफ़दरजंग का मक़बरा, दिल्ली
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मक़बरे में स्थित क़ब्र
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सफ़दरजंग का मक़बरा
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मक़बरे का शानदार स्थापत्य
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सफ़दरजंग का मक़बरा
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मक़बरे का भीतरी दृश्य
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ चारों तरफ़ से बंद
- ↑ सफदरजंग का मकबरा (हिन्दी) दिल्ली पर्यटन। अभिगमन तिथि: 11 फरवरी, 2015।
- ↑ सफ़दरजंग टॉम्ब (हिन्दी) हिन्दुस्तान। अभिगमन तिथि: 11 फरवरी, 2015।
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