सबसे बड़ी ताक़त -विनोबा भावे
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सबसे बड़ी ताक़त -विनोबा भावे
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विवरण | विनोबा भावे |
भाषा | हिंदी |
देश | भारत |
मूल शीर्षक | प्रेरक प्रसंग |
उप शीर्षक | विनोबा भावे के प्रेरक प्रसंग |
संकलनकर्ता | अशोक कुमार शुक्ला |
एक गांव का ज़मींदार विनोबा भावे जी से मिलना टालता रहा।
किसी ने पूछा तो कहने लगा मिलूंगा तो वे ज़मीन मांगेंगे और मुझे देनी पडेगी।
उससे पूछा गया किे ऐसा क्यों ? तुम अपनी ज़मीन नहीं देना चाहते हो तो मत देना कह देना नहीं दे सकता। इसमें कोई जबरदस्ती थोड़ी है। विनोबा जी केवल प्रेम से ही तो ज़मीन मांगते हैं।
अब वे ज़मींदार बोले -'अरे वही तो सबसे बड़ी ताक़त है न? वे प्रेम से मांगते हैं और उनकी बात सही है इसलिये उनको टाला नहीं जा सकेगा।'
विनोबा के कानों तक जब यह बात पहुंची तो वे बोल उठे -
'बस उसकी ज़मीन मुझको मिल गयी। हमारा उद्देश्य भूदान के माध्यम से सामन्तवादी विचारों को ही तो समाप्त करना है ना। '
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