राजस्थान के प्रथम राज्यपाल रहे सरदार गुरमुख निहाल सिंह ने रियासतों के पुनर्गठन के बाद 1 नवम्बर, 1956 को पदभार संभाला था तथा 15 अप्रॅल, 1962 तक इस पद पर आसीन रहे।
गुरमुख निहाल सिंह ने लन्दन विश्वविद्यालय से बी.एससी. (अर्थशास्त्र) की उपाधि प्राप्त की थी। 1920 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक नियुक्त हुए। बाद में कला संकाय के अधिष्ठाता बनाये गये।
वर्ष 1939 से 1943 तक गुरमुख निहाल सिंह अहमदाबाद स्थित एच.एल.वाणिज्य महाविद्यालय, 1943 से 1949 तक रामजस काॅलेज, दिल्ली तथा जनवरी, 1950 से श्रीराम काॅलेज, दिल्ली के प्राचार्य रहे।
वर्ष 1952 के प्रथम आम चुनाव में गुरमुख निहाल सिंह दिल्ली विधान सभा के सदस्य तथा 7 मई, 1952 को विधान सभा अध्यक्ष चुने गये।
वर्ष 1955 में उनको कांग्रेस विधायक दल का सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया।
गुरमुख निहाल सिंह अपने शैक्षिक सेवा काल में बनारस, इलाहाबाद, लखनऊ और दिल्ली सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की अनेक महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य तथा अध्यक्ष रहे। आपने राजनीति विज्ञान विषय में अनेक पुस्तकें लिखीं।