बेअंत सिंह
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पूरा नाम | बेअंत सिंह |
जन्म | [19 फ़रवरी]], 1922 |
जन्म भूमि | पटियाला, पंजाब |
मृत्यु | 31 अगस्त, 1995 |
मृत्यु स्थान | चंडीगढ़, पंजाब |
पति/पत्नी | जसवंत कौर |
संतान | पुत्र- तेज प्रकाश सिंह पुत्री- गुरकनवाल कौर |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
कार्य काल | मुख्यमंत्री, पंजाब-25 फ़रवरी, 1992 से 31 अगस्त, 1995 तक |
विद्यालय | लाहौर गवर्नमेंट कॉलेज |
संबंधित लेख | पंजाब, मुख्यमंत्री, पंजाब के मुख्यमंत्री |
अन्य जानकारी | सन 1947 के विभाजन के बाद बेअंत सिंह ने पंजाब की राजनीति में प्रवेश किया। 1960 में वे लुधियाना जिले में दोराहा के ब्लॉक समिति के अध्यक्ष चुने गए। |
बेअंत सिंह (अंग्रेज़ी: Beant Singh, जन्म- 19 फ़रवरी, 1922; मृत्यु- 31 अगस्त, 1995) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेताओं में से एक थे, जो पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। वह 25 फ़रवरी, 1992 से 31 अगस्त, 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। खालिस्तानी अलगाववादिओं ने कार को बम से उड़ा कर उञकी हत्या कर दी थी। भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के शब्दों में- "पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में सरदार बेअंत सिंह ने राज्य में सामान्य स्थिति बहाली के लिए कड़े संघर्ष किए।" 18 दिसम्बर, 2013 को डाक विभाग ने सरदार बेअंत सिंह के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
परिचय
बेअंत सिंह का जन्म 19 फ़रवरी, 1922 को पटियाला, पंजाब में हुआ था और इसके बाद में वे लुधियाना के दोराहा तहसील के बिलासपुर गाँव में चले गए। इसके बाद में वे उसी जिले के ग्राम कोटली में स्थानांतरित हो गये। उनके बेटे तेज प्रकाश सिंह पंजाब सरकार में मंत्री थे, जिनका नेतृत्व हरचरण सिंह बराड़ ने किया था। उनकी बेटी गुरकनवाल कौर, अमरिंदर सिंह सरकार में समाज कल्याण राज्य मंत्री और संसदीय सचिव हैं। उनका पोता रवनीत सिंह लुधियाना से राजनीतिज्ञ है। एक अन्य पोता गुरकीरत सिंह कोटली, खन्ना से राजनीति में है।[1]
शिक्षा
सरदार बेअंत सिंह ने लाहौर गवर्नमेंट कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी।
कॅरियर
23 साल की उम्र में बेअंत सिंह सेना में शामिल हो गये, लेकिन दो साल की सेवा के बाद राजनीति और सामाजिक कार्यों में बदलाव करने का फैसला किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर समाज की सेवा की। 1992 में वह पंजाब के मुख्यमंत्री बनें। अपने जीवन काल में वे पाँच बार पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और पंजाब सरकार में मंत्री भी रहे। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने 1986 से 1995 तक काम किया।
पंजाब की राजनीति में प्रवेश
सन 1947 के विभाजन के बाद बेअंत सिंह ने पंजाब की राजनीति में प्रवेश किया। 1960 में वे लुधियाना जिले में दोराहा के ब्लॉक समिति के अध्यक्ष चुने गए। लुधियाना में केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक के रूप में कुछ समय तक काम करने के बाद बेअंत सिंह ने 1969 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पंजाब विधानसभा में प्रवेश किया। बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और सिखों के उल्लंघन के लिए उनकी आलोचना भी की गई।[1]
मृत्यु
31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ के सचिव परिसर में एक बम विस्फोट में बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई। इस विस्फोट में 3 भारतीय कमांडो सहित 17 अन्य लोगों की भी जान गई थी। बेअंत सिंह हत्या के दिन अपने करीबी दोस्त रणजोध सिंह मान के साथ थे। बब्बर खालसा इंटरनेशनल के दिलावर सिंह बब्बर ने आत्मघाती हमलावर के रूप में काम किया। बाद में बैकअप बमवर्षक बलवंत सिंह राजोआना को भी हत्या का दोषी ठहराया गया।
2012 में चंडीगढ़ की एक अदालत ने राजोआना को मौत की सजा सुनाई। कई लोगों ने फैसले का विरोध किया और बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को रोकने के लिए अभियान चलाया। 28 मार्च, 2012 को भारत सरकार ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात के बाद राजोआना की फांसी पर रोक लगा दी। 7 जनवरी, 2015 को जगतार सिंह उर्फ तारा, जो कथित तौर पर बेअंत सिंह की हत्या का मास्टरमाइंड था, को भारतीय जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो के अनुरोध के बाद थाईलैंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 बेअंत सिंह की जीवनी (हिंदी) jivanihindi.com। अभिगमन तिथि: 04 मई, 2020।
बाहरी कड़ियाँ
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |