साँझ जानि दसकंधर
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साँझ जानि दसकंधर
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| कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
| मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
| मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
| प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
| शैली | दोहा, चौपाई और सोरठा |
| संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
| काण्ड | लंकाकाण्ड |
- रावण को पुनः मन्दोदरी का समझाना
साँझ जानि दसकंधर भवन गयउ बिलखाइ। |
- भावार्थ
संध्या हो गई, जानकर दशग्रीव बिलखता हुआ (उदास होकर) महल में गया। मंदोदरी ने रावण को समझाकर फिर कहा - ॥ 35(ख)॥
| साँझ जानि दसकंधर |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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