दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन
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विवरण | 'दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन' दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग 1.7 अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है। |
स्थापना | 8 दिसम्बर 1985 |
उद्देश्य | आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास जैसे क्षेत्र में तेज़ीलाना और सभी व्यक्तियों को आत्म सम्मान के साथ उन्हें रहने और उन्हें अपनी क्षमता का अहसास दिलाकर उन्हें अवसर प्रदान करना है। |
विशेष | सार्क की स्थापाना भारत, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। |
अन्य जानकारी | संगठन का संचालन सदस्य देशों के मंत्रिपरिषद द्वारा नियुक्त महासचिव करते हैं, जिसकी नियुक्ति तीन साल के लिए देशों के वर्णमाला क्रम के अनुसार की जाती है। |
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन अथवा 'दक्षेस' (अंग्रेज़ी : South Asian Association for Regional Cooperation or 'SAARC') दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन (economic and political organization) है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग 1.7 अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है। इसकी स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को भारत, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। अप्रैल 2007 में संघ के 14 वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवां सदस्य बन गया।
गठन
सन् 1970 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति जियाउर रहमान ने दक्षिण एशियाई देशों का एक व्यापार गुट का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को 1981 में स्वीकृत किया गया और 1983 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विदेश मत्रियों के द्वारा इसे अपनाया गया, और इसके उपरांत 1985 में 7 देशों के सहयोग से सार्क का गठन किया गया। लम्बे अवधि के उपरांत सातों देशों की सहमति से अफ़गानिस्तान को 13 नवंबर 2005 में शामिल किया गया। सार्क का मुख्य उद्देश्य मानव संसाधन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कृषि के क्षेत्र का विकास करना है और साथ ही जनसंख्या और स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों और परिवहन सुविधाओं के सुधार का समाधान करना है।
सार्क दक्षिण एशियाई देश तक ही सीमित है और आज कुल आठ देशों का सदस्य हो गया है, इसके अलावा कुछ अन्य देशों जैसे म्यांमार, जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान, मॉरीशस और यूरोपीय संघ को सार्क के पर्यवेक्षकों का दर्जा का भार दिया गया है।
उद्देश्य
- सार्क का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशियाई देशों के लोग कल्याण के साथ-साथ लोगों के जीवन यापन के गुणवत्ता में सुधार लाना है।
- आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास जैसे क्षेत्र में तेज़ीलाना और सभी व्यक्तियों को आत्म सम्मान के साथ उन्हें रहने और उन्हें अपनी क्षमता का अहसास दिलाकर उन्हें अवसर प्रदान करना है।
- दक्षिण एशियाई देशों के बीच सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और उन्हें मजबूती प्रदान करना।
- दक्षिण एशियाई लोगों में आपसी विश्वास को बढ़ाना और एक दूसरे की समस्याओं को समाधान करने के लिए बढ़ावा प्रदान करना।
- आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, नस्लीय और वैज्ञानिक जैसे क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है।
- अन्य विकासशील देश के साथ मिलकर उन्हें सहयोग प्रदान करना है।
- सार्क का लक्ष्य है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों और क्षेत्रीय संगठन के साथ मिलकर मदद करे।[1]
18वां शिखर सम्मेलन
आठ राष्ट्र, उभरते हुए प्रजातंत्र, प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाएं लगभग 1.7 बिलियन जनसंख्या तथा दुनिया के बड़े धर्मों की भूमि दक्षिण एशिया में वह सब कुछ उपस्थित है जो इसे वैश्विक परिदृश्य पर अपनी पहचान बनाने वाली एक क्षेत्रीय ताकत बनाने के लिए चाहिए। अपनी स्थापना के 29 वर्ष बाद और 30वीं वर्षगांठ से पहले सार्क के लिए अब समय आ गया है कि बड़ी-बड़ी घोषणाओं और ठोस कार्रवाई के बीच के अंतर को पाटा जाए। निराशावादियों द्वारा सार्क को अनुचित रूप से सिर्फ वार्ता करने वाला मंच और काम न करने वाला समूह बताया गया है। यह आलोचना सही नहीं है, संगठन ने क्षेत्रीय सहयोग संरचना को मजबूत करने के लिए एक दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, संकटकाल में राष्ट्रीय प्रयासों को संपूरित करने के लिए सार्क विकास निधि, एक सार्क खाद्य बैंक और संकट तथा प्राकृतिक आपदाओं के समय एक-दूसरे की सहायता करने हेतु सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र की स्थापना करने जैसे- कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाए है। ये सभी सराहनीय कदम है और उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।
- दो-दिवसीय 18वां सार्क शिखर सम्मेलन नेपाल की राजधानी काठमांडू में 26-27 नवंबर, 2014 के मध्य संपन्न हुआ। सार्क के काठमांडू शिखर सम्मेलन का केंद्रीय विषय (Theme) था- ‘‘शांति और समृद्धि के लिए बेहतर एकता’’ (Deeper Integration for Peace and Prosperity)।
क्षेत्रीय केंद्र
- सार्क कृषि केंद्र (SAARC Agriculture Centre) - ढाका (बांग्लादेश)
- सार्क तपेदिक केंद्र (SAARC Tuberculosis Centre) - काठमाण्डू (नेपाल)
- सार्क प्रलेख केन्द्र (SAARC Documentation Centre) - नई दिल्ली (भारत)
- सार्क मौसम विज्ञान अनुसंधान केन्द्र (SAARC Meteorological Research Centre) - ढाका (बांग्लादेश)
- सार्क मानव संसाधन विकास केन्द्र (SAARC Human Resource Development Centre) - इस्लामाबाद (पाकिस्तान)
- सार्क ऊर्जा केन्द्र (SAARC Energy Centre) - इस्लामाबाद (पाकिस्तान)
- सार्क सांस्कृतिक केन्द्र (SAARC Cultural Centre) - कैंडी (श्रीलंका) (प्रक्रियाधीन)
- सार्क सूचना केन्द्र (SAARC Information Center) - नेपाल
- सार्क कोस्टल जोन मैनेजमेन्ट सेन्टर (SAARC Coastal Zone Management Centre) - मालदीव
- सार्क डिजास्टर मैनेजमेन्ट सेन्टर (SAARC Disaster Management Centre) - भारत
- सार्क फारेस्ट्री सेन्टर, भूटान (प्रक्रियाधीन)
- दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय - नई दिल्ली[2]
महत्त्वपूर्ण जानकारी
- सार्क का मुख्यालय काठमांडू में है।
- सार्क दिवस प्रत्येक वर्ष 8 दिसम्बर को मनाया जाता है।
- संगठन का संचालन सदस्य देशों के मंत्रिपरिषद द्वारा नियुक्त महासचिव करते हैं, जिसकी नियुक्ति तीन साल के लिए देशों के वर्णमाला क्रम के अनुसार की जाती है।
- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग पर इस घोषणा को 1983 में नई दिल्ली में विदेश मंत्रियों द्वारा अपनाया गया था।[3]
मुख्यालय एवं बैठकें
शासनाध्यक्षों की बैठकें सामान्यत: प्रतिवर्ष और विदेश सचिवों की बैठकें वर्ष में दो बार आयोजित की जाती हैं। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन का मुख्यालय काठमांडू, नेपाल में है। दक्षेस द्वारा सहयोग के निर्धारित क्षेत्र है: कृषि एवं वानिकी, स्वास्थ और जनसंख्या, डाक सेवाएँ, महिला विकार, नशीले पदार्थों का व्यापार एवं दुरुपयोग, खेलकूद, कलाएँ और संस्कृति। अन्य विषय, जैसे पर्यटन और आतंकवाद भी लक्षित हैं। चार्टर में व्यवस्था है कि निर्णय सर्वसम्मति से हों तथा द्विपक्षीय और विवादास्पद मसलों से बचा जाए।
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